श्री अरविंद
आज World Yoga Day विश्व योग दिवस पर एक महान दार्शनिक, एक महान शिक्षाविद, एक महान लेखक को याद करके मन में प्रसन्नता हो रही है. मैं विश्व के महान दार्शनिक श्री अरविंद को याद करते हुए आप सबके साथ शत शत नमन करता हूँ.
इस तरह की महान शक्ख्सियत मन इन्द्रियों से परे जाकर, भुत, भविष्य से परे जाकर चेतना के उस स्तर पर जाकर लीन हो जाती है जिसे जल्दी से हमारा मन और हमारी बुद्धि समझ नही पाती. श्री अरविंद तब भी थे, अब भी है और हमेशा ही रहेगे.
दर्शन शाश्त्र
दर्शन शाश्त्र भी कमाल का शब्द है भारतीय फिलोसोफी में, फिलोसोफी जोकि ग्रीक भाषा का एक शब्द है और जिसका मतलब होता है – love of wisdom. परन्तु दुनियां की सबसे पुरानी फिलोसोफी जोकि भारत की है यहाँ दर्शन का मतलब है – “वो जैसा मैंने देखा”
हमारे अध्यात्मिक वैज्ञानिको ने, हमारे ऋषियों में अतिन्द्रिये अवस्था में जा कर जो देखा वो हमारा दर्शन हुआ, हमारा दर्शन love of wisdom नहीं है. हमारा दर्शन अपने आप जागृत होने वाली इस विश्व के पीछे की हकीकत है.
शिक्षा का उदेश्य कैसा होना चाहिए
मैं फिर से अपनी बात पर आता हूँ जो मेरा आज का विषय है – जोकि खासतौर पर बच्चो पर है और श्री अरविंद ने जो शिक्षा को लेकर एक कहा कि शिक्षा का उदेश्य कैसा होना चाहिए और शिक्षा किस तरह से देनी चाहिए.
आज हम और हमारे बच्चे एक ऐसी दौड़ में पहुच गए है जहाँ हमें अपनी नैतिकता पीछे छूटती सी नज़र आ रही है. मोबाइल और टेक्नोलॉजी की दौड़ में हम मानवता को पीछे छोड़ते जा रहे है. ऐसे में हम हमारी विरासत को भी भूलते चले जा रहे है. खासतौर पर हमारे बच्चे जो बचपन से ही तनाव का शिकार हो रहे है.
आज के बच्चों की कुछ इस तरह की समस्याएं है:-
- मोबाइल पर ज्यादा से ज्यादा Involve रहना.
- पढाई पर कम ध्यान देना.
- यादाश्त कमज़ोर है, कुछ भी यद् नहीं रहता
- बहुत से बच्चे गुमसुम रहते है.
- बहुत से बच्चो को स्टेज पर बोलने का डर होता है.
- बहुत से बच्चे अपने माता पिता का कहना नहीं मानते है.
- खाने की आदत बिगड़ चुकी है.
- पढाई में मन नहीं लगता है.
- बुद्धि का स्तर कम होना
- Over Confidence
- Western World की तरफ ज्यादा झुकाव है.
आज का एजुकेशन सिस्टम हमें ज्ञान तो दे रहा है परन्तु हमारे बच्चों का मानसिक विकास करने के लिए यह एजुकेशन सिस्टम सक्षम नहीं है. आज स्कूल के PTM (Parents Teacher Meet) में हमें अक्सर यह सुनने को मिलता है कि “आपका बच्चा पढाई में ठीक नहीं है” परन्तु स्कूल के पास उस बच्चे की विजडम (बुद्धि) को बढ़ाने का कोई तरीका नहीं है.
आज का एजुकेशन सिस्टम एक तरह का मैकेनिकल सिस्टम है जहाँ प्रश्न भी सिस्टम के है और उतर भी सिस्टम के है. जहाँ पर व्यक्ति एक रोबर्ट की तरह ज्ञान अर्जित करता है जिसमे उसके व्यक्तित्व का और उसकी बुद्धि के विकास की संभावनाएं नाम मात्र होती है.
जीवन में आने वाली आपदाओं में, जीवन के नकरात्मक क्षणों में किस तरह शांत रहते हुए हम अपनी समस्याओं की सुलझाएं यह सब आज का एजुकेशन सिस्टम नहीं सिखलाता.
हमारे महान अध्यात्मिक वैज्ञानिको ने, हमारे ऋषियों ने; हमारे मन पर बहुत काम किया है. मन को कैसे काबू किया जाये, मन को कैसे शक्तिशाली बनाया जाये, बुद्धि को कैसे विकसित किया जाये इस पर बहुत काम किया है. हमारी प्राचीन धरोहर; हमारे ग्रन्थ, हमारा वेदान्त ऐसी शक्तिशाली तकनीकों से भरा पड़ा है जिनका अगर सही से प्रयोग किया जाये तो हमारा Mind विकसित हो सकती है, हमारी बुद्धि विकसित हो सकती है.
स्वामी विवेकानंद, महर्षि अरविंद जैसी विश्वविख्यात शक्ख्सियतों ने हमारी प्राचीन संस्कृति का लोहा सारे संसार को उस वक़्त मनवाया जब हमारा देश गुलाम था. महर्षि अरविंद ने शिक्षा की ऐसी प्रणाली को पेश किया जिसे व्यक्ति की आन्तरिक शक्तियों को प्रकृति तौर पर विकसित किया जा सकता था और किया जा सकता है. आज हमें और हमारे समाज को उस शिक्षा प्रणाली की फिर से जरुरत है.
यह भी सच है कि आज की इस शिक्षा प्रणाली को बदल नहीं जा सकता परन्तु हम अपनी प्राचीन धरोहर का प्रयोग तो कर सकते है इस शिक्षा के प्रणाली के साथ साथ.
श्री अरविंद ने बताया कि – ध्यान से, आध्यात्मिकता के हमारे भौतिक जीवन पर प्रयोग से हम चेतना के उस आयाम तक पहुच सकते है जहा विजडम अपने आप ही पैदा होती है, अपने आप ही विकसित होती है. याद रखिये किताबो से ज्ञान को बढाया जा सकता है विजडम को नहीं, आज का शिक्षा तंत्र ज्ञान को जरुर बढ़ा रहा है परन्तु विवेक जागृत करने में इसके पास कोई तरीका नहीं है.
योग कैसे किसी व्यक्ति की मेमोरी बढ़ाने में कारगार सिद्ध होगा?
अब मैं आपको यह बताने जा रहा हूँ की योग कैसे किसी व्यक्ति की मेमोरी बढ़ाने में कारगार सिद्ध होगा? मनोविज्ञान के अनुसार हमारे मन के 3 प्रकार है: –
चेतन मन (Conscious Mind)
अवचेतन मन (Subconscious Mind)
अधिचेतन मन (Unconscious Mind)
चेतन मन (Conscious Mind) में हम एक समय के कुछ विचार रख सकते है. यानि अब तक जो जो हमने सीखा है वो सब एक साथ हम अपने चेतन मन में नहीं रख सकते.
अवचेतन मन (Subconscious Mind) हर वक़्त सब कुछ रिकॉर्ड कर रहा है. सब कुछ जो जो भी आप कर रहे है, जो कुछ भी आप देख रहे है वो सब हर वक़्त दर्ज हो रहा है आपके अवचेतन मन में. और इस अवचेतन अगर ठीक से समझ कर इसका प्रयोग करना यदि आ जाये तो हम बड़ी से बड़ी किताब कुछ मिनटों में पढ़ सकते है. स्वामी विवेदानंद इस बात के उदहारण है. उन्होंने अपने जीवन काल में ऐसा किया. श्री अरविंदो इस बात के उदहारण है उन्होंने अपने जीवन काल में ऐसा ही किया.
Unconscious Mind हमारे शरीर में फीलिंग्स और उन बातो पर कण्ट्रोल रखता है जिन पर सीधे तौर पर हमारा कण्ट्रोल नहीं है.
अब यदि हम चेतन मन और अवचेतन मन का सही तालमेल बना ले तो पढाई हमारे लिए एक खेल के सामान हो जाएगी. थोड़ी देर पढने से बहुत कुछ समझ भी आ जायेगा और याद भी रहेगा. ऐसा हो सकता है, ऐसा हुआ भी है, आप भी ऐसा कर सकते है.
लेकिन इसके लिए योग को अपनाना होगा. योग का मतलब केवल कुछ योग आसन नहीं है. योग भारतीय दर्शन का एक स्कूल है. Yoga School of Philosophy by Maharishi Patanjali. योग की बहुत सी विधियों का प्रयोग हम विद्यार्थी जीवन में कर सकते है जिनसे न केवल हमारी मेमोरी शार्प होती है बल्कि हमारे व्यक्तित्व का भी विकास होता है.
कुछ ऐसी विधियाँ है जिनका प्रयोग स्वामी विवेकानंद, महर्षि अरविंद ने अपने जीवनकाल में किया और उन्होंने हमें वो विधियाँ अपनाने के लिए भी प्रेरित किया. यह सब की सब विधियाँ मन पर काम करती है. मन को स्ट्रोंग करती है, बुद्धि को स्ट्रोंग करती है, व्यक्ति के अंदर व्यक्तित्व को विकसित करती है जिससे आत्मविश्वास खुद-ब-खुद पैदा होता है. क्यूंकि आत्मविश्वास जैसी आतंरिक शक्ति कभी भी बहिय ट्रेनिंग से उत्पन्न नहीं की जा सकती. इसे मन की विशेष अवस्था में पहुच कर ही Cultivate करना पड़ता है.
अंत में मैं केवल इतना कहना चाहता हूँ कि आज समय आ गया है कि हम योग को अध्यात्म को अपने जीवन में लाकर आज के तनावपूर्ण जीवन को आसानी से तनाव रहित होकर जी सकते है और अपने अंदर अध्यात्मिक शक्तियों का विकास भी कर सकते है.