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The Significance of Healing During Navratri

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Healing can take various forms. Taking medicine is also a kind of healing. Anything that helps you recover from an illness or a miserable state is called healing.

In spirituality, energy healing is practiced, commonly known as healing.

The Human Aura

The aura surrounding a person is not static; it changes constantly. Sometimes, due to the negative thoughts within, this aura becomes so negative that we fall prey to mental or physical illnesses. Our aura is composed of various types of human energies. Once it becomes imbalanced, it requires external energy to restore balance. The process of providing this external energy is known as healing.

Who can heal?

Only those who possess an abundant amount of spiritual energy and know how to transfer this energy to others can perform healing.

Navratri Healing

During Navratri, healing works exceptionally well. The healer can easily transfer its benefits to those in need because the atmosphere is filled with spiritual energy during this period. This spiritual energy benefits both the healer and the one receiving the healing.

How Many Days Are Auspicious?

From Navratri to Diwali, and even the entire month of Kartik, all these days are highly auspicious for healing. These days are also beneficial for spiritual practices. During this time, one can heal themselves by removing negative energies from within. While healing can be done at any time, this period is the most suitable for receiving healing energy.

Devi Durga Ma

Healing with Beeja Mantra

There are many seed mantras associated with Goddess Durga that can aid in healing. These seed mantra are beeja mantra.  These mantras become especially powerful during this period. Those who are knowledgeable in this practice can use these mantras to benefit both themselves and others.

Categories: Healing

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Blue Light Healing

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Healing is a therapy with the help of which we can cure ourselves and other with energies.

Everyone has a aura around him. People who meditate regularly have a strong aura around their physical body. If you have a strong aura then only you can heal others.

We can heal with your personal energies and through external energies too.

Types of healing

Their are two types of healings and these are:-

  1. Internal Healing
  2. External Healing

Which healing is good?

External healing is always good for a healer. Because in external healing you are using external source of healing and when you do healing through an external source you also get healed.

External Source of Healing

Some of external source of healing are:-

  1. Mantra Healing
  2. Tantra Healing
  3. Symbol Healing
  4. Idol Healing
  5. Lights healing
  6. Sun Healing
  7. Moon Healing
  8. Planets Healing
  9. Panchmahabhuta Healing
  10. Chakra Healing

Blue Light Healing

Blue light is an excellent source of healing which gives ever new energy to the whole body and mind.

This is the light which we see when we touch the deep level of meditation.

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Blue Light Healing

How to do blue light Healing

  • Sit in a comfortable posture
  • Concentrate your mind first
  • Take your awareness at the third eye and after some time you will start seeing the blue light
  • Feel the sensation of blue light at your crown chakra and spread it into your own body first
  • Now send the same blue light to crown chakra of other person
  • Don’t take away your attention from the third eye.
Blue Light Healing is easy to practice and easy to handle. It gives quick results. 

Potential Dangers of Energy Healing

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Healing and Energy Healing

A doctor gives medicines to heal his patients. We sometimes give money to a needy person to heal his financial health. All these helps and donations are called healings.

When we do it at energy level this is called as energy healing.

In energy healing we work on our energy body. To work on energy body is actually a dangerous thing.

Energy Body or Subtle Body
Energy Body

Potential Danger behind the energy healing

Many people find great joy in helping others with their money. There is a saying that if you keep giving away your wealth like this, a day will come when you yourself becomes a begger.

Helping others is also a kind of healing
Money help is also a healing

It doesn’t mean that we should not help others. We should help others wisely so that it’s doesn’t affect us negatively.

In healing if you transfer your own energy to the another needy person, you will fall in loss. If you keep doing this regularly, oneday, you might become a needy person yourself.

If you tranfer your own energies to others then a day come you will fall ill and your mental health start affecting.

Then a day will come you will not able to heal more. This is the potential danger of this energy healing if you do it in this way.

Aware about the danger

What to do next?

Always do healing through some external sources. For example you want to crear negative aura of a person then first connect yourself with divine source of blue light and bring that blue light on yourself and on that person simultaneously. Now with this process you will gain and other person will also gain. There will be no loss to any one here.

Blue Light Healing

दूसरों की हीलिंग कैसे करे – How to Heal Others

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How to Heal Others

खुद की और द्सुरों की हीलिंग कैसे करे

आज हीलिंग एक थेरेपी है. जिसका प्रयोग अब वैज्ञानिक होता जा रहा है.  हीलिंग काम करती है इसमें कोई भी शक नहीं है. लेकिन जैसे कोई ही काम करने से पहले सीखना पड़ता है ठीक वैसे ही हीलिंग भी सीखनी पड़ती है.

हीलिंग अगर अच्छे से सीख कर की जाये तो यह बहुत ही अच्छा काम करती है. दूसरी पद्धतियों की तरह इसके रिजल्ट्स भी तुरंत आते है.

हीलिंग अच्छे से हो इसके लिए एक ही योग्यता है – ध्यान. अगर आप को अच्छा ध्यान करना आता है तो आपको फिर अच्छी हीलिंग करनी भी आती है. अगर आप मेरी बताई हुई हीलिंग कर रहे है और आपको उसके अच्छे रिजल्ट्स नहीं मिल रहे है तो समझ लीजिये कि आपको  अच्छे से ध्यान करना नहीं आता है. हीलिंग पॉवर को बढ़ाने के लिए ध्यान के समय को बढ़ाने की जरुरत है.

आप इसके लिए ॐ उच्चारण की सहायता ले सकते है. हीलिंग से पहले यदि कुछ देर ॐ का उच्चारण करेंगे तो परिणाम बहुत ही अच्छे आयेंगे.

हीलिंग में दूरियां महत्व नहीं रखती. आप अपने घर बैठे हुए कितनी भी दूर बैठे हुए व्यक्ति को अपनी हीलिंग भेज सकते है. लेकिन भेज आप वही सकते है जो आपके पास हो. आपके पास ही नहीं होगा तो आप किसी और को नहीं दे सकते.

 

नीचे Step-by-Step हीलिंग का तरीका सिखाया गया है.

दूसरों की हीलिंग कैसे करे ?

ब्लू लाइट हीलिंग तकनीक

किसी भी आरामदायक आसन में बैठ जाये.

 

आँखों को बंद कर लीजिये.

आँखों को तब तक बंद रखना है जब तक हीलिंग प्रक्रिया समाप्त न हो जाये.

रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए.

शरीर तना हुआ भी नहीं होना चाहिए.

सबसे पहले 5 मिनट बोल कर ॐ का उच्चारण करे.

फिर ध्यान को दोनों आँखों के बीच लेकर आये.

अब मन ही मन ॐ का उच्चारण करते हुए ॐ को सुने

अब बिलकुल चुप हो जाये

न बोलना है और न ही सुनना है

बस देखना है दोनों आँखों के बीच

धीरे धीरे एक नीले रंग की रौशनी दिखाई देनी शुरू होगी

अगर नीले रंग की रौशनी दिखाई नहीं दे तो उसकी कल्पना करनी है

अब महसूस करना है कि उस नीले रंग की रौशनी ने आपको चारों ओर से ढक लिया है

आपको शक्ति दायिनी नीले रंग की रौशनी से एक अनजानी शक्ति मिल रही है.

कम से कम 5 मिनट तक शक्ति दायिनी रौशनी को अपने चारो और महसूस करना है.

इस तरह से पहले आपकी खुद की हीलिंग होगी.

अब जिसकी आप हीलिंग करना चाहते है. उसको अपने सामने महसूस करना है.

मन ही मन उसका नाम लेना है.

अब शक्ति दायिनी नीले रंग की रौशनी को उस व्यक्ति की ओर भेजना है.

जैसे खुद के चारों ओर महसूस किया था वैसे ही उस व्यक्ति के चारों ओर महसूस करना है.

कम से कम 5 मिनट उस व्यक्ति को हीलिंग भेजनी है.

उसके बाद 2 मिनट तक फिर से खुद की हीलिंग करनी है.

अब ध्यान को फिर से दोनों आँखों के बीच लेकर आना है.

शक्ति दायिनी नीले रंग की रौशनी का धन्यवाद करना है.

फिर से 2 मिनट ॐ उच्चारण करना है.

अब धीरे से आँखों को खोल लेना है.

इस तरह से आप खुद की और दुसरे व्यक्ति की हीलिंग कर सकते है.

 

ध्यान साधना में आने वाले विघ्न और उनके समाधान – Meditation Problem Solving

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ध्यान, साधना में आते है यह 9 प्रकार के अवधान

 

योग साधना के मार्ग पर चलने वाले साधक के रास्ते में तरह तरह के विघ्न आते है जिससे कि अक्सर साधक अपने पथ से विचलित हो जाते है. कई बार यह विघ्न इतने तीव्र होते है कि साधक को पता ही नहीं चल पाता. योग साधना निरन्तर चलती रहे तभी साधना में अच्छे रिजल्ट्स मिलते है. एक बार साधक अगर पथ भ्रष्ट हो जाये तो जल्दी से वापिस आना भी मुश्किल हो जाता है.

 

9 प्रकार के अवधान है जो साधना मार्ग में हर साधक के आगे आते है. इन विघ्नों के बारे हर साधक को जानना आवश्यक है.

महर्षि पतंजलि ने पतंजलि योग सूत्र में सूत्र संख्या 30 में इसके बारे में बताया है.

यह 9 विघ्न इस प्रकार से है

  1. शरीरिक रोग या मन सम्बन्धी रोग
  2. अकर्मण्यता – कुछ भी न करने का मन करना
  3. संदेह – खुद पर और योग पर संदेह उत्पन्न हो जाना
  4. योग साधना में बेपरवाही बरतना
  5. शरीर में भारीपन के कारण आलस्य आना
  6. वैराग्य की भावना अचानक ख़त्म हो जाना
  7. मिथ्याज्ञान आ जाना – यानि रस्सी को सांप और सांप को रस्सी समझना
  8. चित की चंचलता बढ़ जाना
  9. समाधि की अप्राप्ति – यानि समाधि को छूते छूते रुक जाना

यह सारे के सारे विघ्न है जो साधना के मार्ग में हर साधक के सामने किसी न किसी रूप में आते है. अगर साधक सचेत है तो सही नहीं तो ये विघ्न साधक को उसके मार्ग से हटाने में कामयाब होते ही है.

यह वास्तव में चित की चंचलता की वजह से होते है. इन विघ्नों को योग के अन्तराए भी कहते है.

इसका  समाधान क्या है?

पहला तरीका एक अच्छे गुरु का होना जो आपको हरदम एक उचित दिशा देता रहे.

दूसरा तरीका है ॐ का उच्चारण. ॐ, प्रणव, इक ओंकार एक ही है. अगर आप हिन्दू धर्म से नहीं है या फिर किसी कारणवश ॐ का उच्चारण नहीं करना चाहते है तो इसकी जगह भ्रामरी प्राणायाम भी कर सकते है.

तीसरा तरीका है मन ही मन ॐ का जप

चोथा तरीका है शाश्त्र अध्यन करना. अपने धर्मानुसार किसी भी शाश्त्र का आप अधयन्न कर सकते है.

सबसे जरुरी है निरंतर प्रयास. चाहे कुछ भी मन में आये फिर भी निरंतर प्रयास करना अति आवश्यक है.

 

 

खुद की हीलिंग कैसे करे

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आज हम जीवन के एकऐसे दौर से गुजर रहे है जहाँ हमारा मन तरह तरह की अनिश्चितताओं से गुजर रहा है. आज मन में सब कुछ अनिश्चित है. समय और जीवन का पता नहीं कैसा सम्बन्ध है. कभी समय खुशहाली लाता है तो कभी समय बदहाली लाता है. वर्ष 2020 जबशुरू हुआ है इस बात का समूचे विश्व को अहसास हुआ है कि समय और जीवन में कुछ खास ही सम्बन्ध है. ऐसा लग रहा है कि सुख और दुःख एक खास तरीके से समय के अंदर पिरोये हुए है.

खैर हम कर भी क्या सकते है. मानव जाति का कार्य है अनिश्चितताओं में भी निश्चितता ढूँढना. पता ही नहीं कितनी बार मनुष्य जाति पर न जाने कितने कितने  संकट आये और कैसे मनुष्य जाति उनसंकटों को पार करके जीवन को फिर निश्चितता की पटरी पर लेकर आई.

मैं आपको हीलिंग करना सिखाना चाहता हूँ. यह कोई मेडिसिन नहीं है. लेकिनयह एक पद्धति है. मैंने इसका प्रयोग कियाऔर अच्छे रिजल्ट्स भी पाए. दुःख में मानव के पास जबकोई रास्ता नहीं बचता तो उसके पास एक ही रास्ता बचता है वो है प्रार्थना का. हीलिंगउस प्रार्थना का ही एक तकनीकी रूप है.

हीलिंगकाम करती है इसमें कोई भी शक नहीं है. लेकिन जैसे कोई ही काम करने से पहले सीखना पड़ताहै ठीक वैसे ही हीलिंग भी सीखनी पड़ती है. जैसे हर व्यक्ति हर काम में सफल नहीं होता वैसे ही हर कोई हीलिंग करने में भी सफल नहीं होता. लेकिनजो सफल होते है उनकी हीलिंग काम करती है.

हीलिंगके लिए एक हही योग्यता है – ध्यान. अगर आप को अच्छा ध्यान करना आता है तो आपको फिर अच्छी हीलिंग करनी भी आती है. अगर आप मेरी बताई हुई हीलिंग कर रहे है और आपको उसके अच्छे रिजल्ट्स नहीं मिल रहे है तो समझ लीजिये कि आप अच्छे ध्यानी नहीं है. हीलिंगपॉवर को बढ़ाने के लिए ध्यान को बढ़ाने की जरुरत है.

हीलिंगमें दूरियां महत्व नहीं रखती. आप अपने घर बैठे हुए कितनी भी दूर बैठे हुए व्यक्ति को अपनी हीलिंग भेज सकते है. लेकिन भेज आप व्ही सकते है जो आपके पास प्रचुर मात्रा में होता है.

 

हीलिंग कैसे करे ?

ब्लू लाइट हीलिंग तकनीक

 

किसी भी आरामदायक आसन में बैठ जाये.

आँखों को बंद कर लीजिये.

आँखों को तब तक बंद रखना है जब तक हीलिंग प्रक्रिया समाप्त न हो जाये.

रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए.

शरीर तना हुआ भी नहीं होना चाहिए.

सबसे पहले 5 मिनट बोल कर ॐ का उच्चारण करे.

फिरध्यान को दोनों आँखों के बीच लेकर आये.

अब मन ही मन ॐ का उच्चारण करते हुएॐ को सुने

अबबिलकुल चुप हो जाये

न बोलना है और न ही सुनना है

बस देखना है दोनों आँखों के बीच

धीरे धीरे एक नीले रंग की रौशनी दिखाई देनी शुरू होगी

अगरनीले रंग की रौशनी दिखाई नहीं दे तोउसकी कल्पना करनी है

अब महसूस करना है कि उस नीले रंग की रौशनी ने आपको चारों ओर सेढक लिया है

आपकोशक्ति दायिनी नीले रंग की रौशनी से एक अनजानी शक्ति मिल रही है.

कम से कम 5 मिनट तक शक्ति दायिनी रौशनी को अपने चारो और महसूस करना है.

इस तरह से आपकी खुद की हीलिंग होगी.

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आज मैंने 134 करोड़ लोगो को एक होते हुए देखा

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हम सब एक है इसमें कोई शक नहीं है. लेकिन अब तक मेरे लिए यह केवल शब्द थे. मुझे हम सब के एक होने का कोई व्यक्तिगत अनुभव नहीं था. होगा भी कैसे आज हमारे देश की आबादी 134 करोड़ को भी पार कर चुकी है. कहते है दुःख में कोई अपना सिर पर बस हाथ ही रख दे तो दुःख आधा हो जाता है. ऐसे ही मुसीबत से जूझते हुए को थोड़ा सा अपनापन दिखा कर उत्साहित कर दे तो काम करने की शक्ति कई गुणा बढ़ जाती है.

आज हम करोना वायरस की त्रासदी के दौर से गुजर रहे है. मन में एक अनजाना सा डर है. सब तरफ अनिश्चितता है. डर बहुत ही बड़ा है और व्यापक है. मृत्यु से डरना मनुष्य के लिए स्वाभाविक है.

लेकिन हमारे समाज में हमारे कुछ ऐसे भाई बहन भी है जो हमारे लिए सीधा करोना वायरस से टक्कर ले रहे है. हमे बचाने के लिए वो अपना जीवन संकट में डाले हुए है. डॉक्टर्स, नर्से, सफाई कर्मचारी, स्वस्थ विभाग के कर्मचारी, भारतीय रेल के कर्मचारी, विमान विभाग के सभी कर्मचारी, रोडवेज के ड्राइवर्स, कंडक्टर्स और वो हर व्यक्ति जो आज इस virus से हमें बचाने के लिए जूझ रहा है.

22 मार्च 2020, रविवार को भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्दर मोदी जी ने हमारे इन सैनिको की उत्साह वृद्धि और धन्यवाद के लिए सभी भारतियों को इस दिन शाम को 5 बजे 5 मिनट के लिए अपने घर की बालकोनी या छत पर खड़े होकर ताली, थाली या फिर शंख नाद करने के लिए उत्साहित किया.

जैसे ही 22 मार्च 2020, रविवार को शाम के 5 बजे मैंने देखा कि हमारे भाई और खासतौर पर हमारी बहनें, छोटे बच्चे , घर के सभी सदस्य; सब के सब अपने घर की या तो बालकोनी पर थे या फिर छत पर. कोई ताली बजा रहा था तो कोई थाली बजा रहा था. कोई शंख बजा रहा था तो को ढोल, ढोलक. हर कोई अपनी इस खास सेना का धन्यवाद करना चाहता था. हर कोई उनका उत्साह बढ़ाना चाहता था.

हर छत पर भारतीय था. कोई हिन्दू नहीं था, कोई मुस्लिम नहीं था कोई सिख नहीं था कोई ईसाई नहीं था. हर छत पर भारतीय था. ऐसा लग रहा था कि पूरा भारत छतों पर आ गया हो. कमाल का दृश्य था. 134 करोड़ लोग एक थे. हम सब एक थे. सभी के सभी इंसान थे. सभी के सभी भारतीय थे. किसी के मन में नहीं था कि वो मुस्लिम है, कि वो हिन्दू है. हर किसी के मन में एक ही बात थी कि वो एक भारतीय है.

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संकल्प शक्ति का रहस्य

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योगवाशिष्ठ

योगवाशिष्ठ एक भारतीय ग्रन्थ है जोकि रहस्यमयी शाश्त्र है. यह उस समय का ग्रन्थ है जब श्री राम जी ने गुरु वशिष्ट के साथ कुछ समय गुजारा था. तरह तरह का सांसारिक और अध्यात्मिक ज्ञान ऋषि वशिष्ठ ने श्री राम जी को दिया था. आज यह ज्ञान एक अति सुंदर पुस्तक के रूप में विद्यमान है.

दासूरोपख्यान

योग वशिष्ठ में कई तरह के उपख्यान कहे गए है. ऐसा ही एक उपख्यान है जिसका नाम है दासूरोपख्यान. यहा ऋषि वशिष्ठ में बताया है कि:-

सारा जगत संकल्प का ही एक प्रसार है. संकल्प ही सभी पदार्थो का उत्पादक है. संकल्प द्वारा ही संसार की रचना होती है. इस संसार का मतलब है कि बहुत सारे संकल्प एक साथ. यह संसार केवल और केवल एक संकल्प नगर है जोकि शुद्ध चिदाकाश में उदय होता है और इसी में लय हो जाता है.

इस संकल्प शक्ति के कई नियम है जिनका अगर अनुसरण किया जाये तो जीवन में अपनी सभी इच्छाएं पूर्ण की जा सकती है. हालांकि इच्छाओं को पूर्ण करना अध्यात्मिक यात्रा के विपरीत है. लेकिन भी भी जरुरी कार्यो के लिए संकल्प शक्ति का प्रयोग किया जा सकता है.

संकल्प मन में पैदा होते है और फिर इस संसार में रूप लेने लगते है. इस संसार के सारे रूप और रंग कभी संकल्प थे. लेकिन हर संकल्प रूप नहीं लेता यह भी सत्य है. इसलिए यह जानना अतिआवश्यक है कि संकल्प कैसे रूप और रंगों में परिवर्तित होते है.

शतरुद्रोपख्यान

इसी शाश्त्र योगवाशिष्ठ में एक और उपाख्यान है जिसका नाम है – शतरुद्रोपख्यान. इस उपाख्यान में इस राज़ को बताया गया है.

“मन में जो संकल्प होता है वही यथासमय सत्य रूप से प्रतीत होने लगता है और मन जितना शुद्ध और पवित्र होता है उतनी ही तीव्रता से संकल्प घनीभूत हो जाता है” – ऋषि वशिष्ठ

शुद्ध मन जैसा संकल्प करता है तुरंत वैसा वैसा होने लगता है. इसके लिए चाहिए शुद्ध मन. मन शुद्ध भी होता है और अशुद्ध भी. योगियों के, ज्ञानियों के मन शुद्ध होते है.

शुद्ध मन कैसा होता है?

विचार रहित मन शुद्ध होता है. मन में जितने कम विचार होंगे मन उतना ही शुद्ध होगा, इसलिए योगियों के और ध्यान करने वालो के मन शुद्ध होते है.

मन कैसे शुद्ध होता है ?

विचारों को कम करने से मन शुद्ध होने लगता है. उसके लिए ध्यान की विभिन्न विधियाँ है. असल में सारा का सारा खेल मन का ही है. मन के शुद्ध होने से कई तरह के चमत्कार होने लगते है.

भारत में योगियों ने अकसर ऐसे चमत्कार किये है. संकल्प शक्ति का विकास शुद्ध मन में ही हो सकता है.

जो जिस वस्तु को निरंतर चाहता है और जिसका मन शुद्ध है वो उस वस्तु को प्राप्त कर ही लेता है.

 

Categories: Meditation

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हीलिंग क्या है?

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हीलिंग पर रिसर्च

हीलिंग पर बहुत सारी रिसर्च जर्मनी, रूस में हुई है. किर्लियन कैमरा का जब से आविष्कार हुआ है  तब से इस फील्ड में बहुत सारा कार्य हो चूका है. मैं कुछ खास बाते आपके साथ शेयर करना चाहता हूँ. लेकिन हीलिंग का मतलब समझना होगा. हीलिंग एक पद्धति है जैसे की आयुर्वेद है, होमियोपैथी है, एलॉपथी है, यूनानी है और बहुत सारी पद्धतियाँ है. सबके अपने अपने तरीके है काम करने के. लेकिन हीलिंग बिलकुल ही अलग है बिलकुल अलग.

हीलिंग स्थूल शरीर की बजाये प्राण शरीर पर काम करती है

जितनी भी अन्य पद्धतियाँ है वो स्थूल शरीर पर काम करती है. लेकिन हीलिंग स्थूल शरीर की बजाये प्राण शरीर पर काम करती है. इस स्थूल शरीर के पीछे प्राण शरीर शरीर ही है जो स्थूल शरीर को एनिमेट कर रहा है. प्राण विद्या का इस्तेमाल करते हुए हीलिंग न केवल स्थूल शरीर को सही करती है बल्कि हीलिंग मानसिक रोगों में भी बखूबी काम करती है.

हीलिंग पर मेरा अपना अनुभव

कुछ खास बाते आपके साथ मैं शेयर करना चाहुगा जोकि हीलिंग पर मेरा अपना अनुभव है और दूसरा मैंने कुछ रिसर्च पेपर्स भी स्टडी किये है. हीलिंग पर हम योगा माई लाइफ पर एक कोर्स चलाते है. बहुत सारे लोग समूचे विश्व से हमारे साथ जुड़े हुए है. सबसे मुश्किल काम जो अब तक मैंने हीलिंग से किया वो है Vitiligo को ठीक करना. यह वो बीमारी है जिसमे White Patches skin पर उभरने लगते है और इस बीमारी का सीधे तौर पर कोई इलाज़ नहीं है. यह मैंने हीलिंग से ठीक किया है. यह मैंने आपके साथ इस लिए शेयर कर रहा हूँ ताकि आप इस तकनीक का प्रयोग कर सके.

मानसिक रोगों पर हीलिंग का प्रयोग

इसके इलावा मानसिक रोगों पर भी मैंने इसका प्रयोग किया है जिसमे बड़े ही कमाल के रिजल्ट्स आये है. रिश्तों को सुधारने में हीलिंग का प्रयोग किया है. क्रोध को शांत करने में इसका प्रयोग किया है. अनचाहे डर को भागने में इसका प्रयोग किया है. ऐसा मैंने आप में से बहुत सारे लोगों के साथ किया है. मैं चाहुगा कि वो लोग भी इस विडियो के नीचे अपने कमेंट दे.

बात यह है कि हीलिंग काम कैसे करती है. हीलिंग प्राण शरीर पर काम करती है. प्राण शरीर का वैज्ञानिक सबूत किर्लियन कैमरा से ली हुई तस्वीरें है. प्राण उर्जा हमारे शरीर के हर अंग के पीछे काम कर रही है. एक तरह से हमारा हर अंग प्राण उर्जा से ही बना हुआ है. प्राण शब्द का मतलब जीवन है. प्राण है तो जीवन है  और अगर प्राण निकल गए तो मृत्यु है. मृत्यु किसकी है. शरीर की है. भारतीय ऋषियों ने प्राण विद्या पर  बहुत काम किया है. प्राणयाम में हम अपने शरीर के प्राण के विस्तार करते है.

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