स्वर विज्ञानं प्रश्न उत्तर
स्वर विज्ञानं
प्रश्न – स्वर योग क्या है ?
उत्तर – स्वर योग हमारी सांसो के पीछे छिपा एक अद्धभुत विज्ञानं है जो हर क्षण हमें अच्छे और बुरे समय के बारे में बताता रहता है. कब क्या करना चाहिए क्यों करना चाहिए यह हमें स्वर योग से पता चलता है.
प्रश्न – स्वर योग की खोज किसने की थी?
उत्तर – स्वर योग की खोज हुई यह नहीं कह सकते. यह ज्ञान भगवान शिव ने माता पार्वती को दिया था. यह शिव स्वरोदय नाम के शाश्त्र में आज भी उल्लेखित है.
प्रश्न – स्वर विज्ञानं का अध्यात्मिक पहलु क्या है ?
उत्तर – हर योगी का उदेश्य आपने आपको ऐसी स्थिति में लेकर आना होता है कि उसकी नाड़ी सुष्म्ना हो जाये और तत्व आकाश हो जाये. यह स्वर विज्ञानं का अध्यात्मिक पहलु है.
नाड़ी विज्ञानं
प्रश्न – नाड़ी क्या होती है?
उत्तर – नाड़ी शब्द सुनने से ऐसा प्रतीत होता है शरीर के अंदर फैली हुई नाड़ियाँ जिनमे रक्त बह रहा हो. लेकिन स्वर विज्ञानं में नाड़ी का आशय यह बिलकुल भी नहीं है. स्वर विज्ञानं में नाड़ी का मतलब है एक ऐसा सूक्ष्म रास्ता जिसमे प्राण बहता हो.
प्रश्न – प्राण क्या होता है?
उत्तर – प्राण वो उर्जा है वो शक्ति है जो हम सभी पर काम कर रही है. जो हम सब को जीवित रखे हुए है.
प्रश्न – कितने प्रकार की नाड़ियाँ होती है ?
उत्तर – स्वर शाश्त्र में मुख्यता तीन प्रकार की नाड़ियों पर काम किया जाता है. यह नाड़ियाँ है – पिंगला नाड़ी, इड़ा नाड़ी और सुष्म्ना नाड़ी.
प्रश्न – पिंगला नाड़ी क्या है ?
उत्तर – जब हमारी साँस हमारी दाहिनी नासिका से बह रही होती है तो इस अवस्था को हम कहते है कि पिंगला नाड़ी चल रही है. पिंगला को सूर्य नाड़ी कहते है.
प्रश्न – इड़ा नाड़ी क्या है ?
उत्तर – जब हमारी साँस हमारी बायीं नासिका से बह रही होती है तो इस अवस्था को हम कहते है कि इड़ा नाड़ी चल रही है. इड़ा को चन्द्र नाड़ी कहते है.
प्रश्न – सुष्म्ना नाड़ी क्या है ?
उत्तर – जब हमारी साँस हमारी दोनों नासिकाओं से एक समान बह रही होती है तो इस अवस्था को हम कहते है कि सुष्म्ना नाड़ी चल रही है. सुष्म्ना एक न्यूट्रल नाड़ी कहते है.
प्रश्न – इन नाड़ियों के बारे में जानने से क्या होता है?
उत्तर – इन नाड़ियों से हमें पता चलता है कि हमें किस समय में कौनसा कार्य करना चाहिए. जैसे जब सुष्म्ना चल रही हो तो हमें कोई भी भौतिक कार्य नहीं करना चाहिए.
जीवन के लाभ
प्रश्न – स्वर विज्ञानं सीखने से आम जीवन में क्या फायदा हो सकता है?
उत्तर – स्वर योग का आम जीवन में बहुत ही अच्छा प्रयोग है. इस से हमें जीवन में अच्छे और बुरे होने के सिग्नल मिलते है. कौनसा काम आपके लिए अच्छा होगा इसका पता आप इस सूक्ष्म विज्ञानं को सीख कर लगा सकते है.
प्रश्न – मुझे स्वर विज्ञानं क्यों सीखना चाहिए?
उत्तर – क्यूंकि यह अद्दभुत शाश्त्र न केवल आपके भौतिक जीवन को रास्ता दिखाता है बल्कि अध्यात्मिक यात्रा में आपको बहुत आगे लेकर जाने में मदद करता है.
पांच तत्व
प्रश्न – क्या स्वर विज्ञानं के तत्वों का भी समावेश होता है?
उत्तर – बिलकुल स्वर विज्ञानं के हमारी सांसो में 5 तत्वों की उपलब्धता के बारे में सिखाया जाता है. इन तत्वों का स्वर शाश्त्र के बहुत अधिक महत्व है.
प्रश्न – यह पांच तत्व कौन कौन से होते है?
उत्तर – यह पांच तत्व है – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश.
सूर्य और चन्द्र के साथ सम्बन्ध
प्रश्न – स्वर विज्ञानं का चंद्रोदय और सूर्योदय से क्या सम्बन्ध है?
उत्तर – नाड़ियों का हमारी नासिकाओं के उदय होना कि कब कौनसी नाड़ी चलेगी यह चंद्रोदय और सूर्योदय निर्धारित होता है. जैसे जब शुक्ल पक्ष होता है तो सूर्योदय के समय चद्र नाड़ी चलनी चाहिए. इन सब बातो का ज्ञान स्वर योग में दिया जाता है.
मेडिकल साइंस के साथ सम्बन्ध
प्रश्न – स्वर शास्त्र का संबध आज की मॉडर्न मेडिकल साइंस से कैसे है?
उत्तर – हमारी नाड़ियों का सम्बन्ध हमारे ब्रेन के हेमी स्फीयर (Hemi Spheres) से है. पिंगला नाड़ी का सम्बन्ध लेफ्ट हेमी स्फीयर (Left Hemisphere)से है और इड़ा नाड़ी का सम्बन्ध राईट हेमी स्फीयर (Right Hemisphere) से है