आज मैंने 134 करोड़ लोगो को एक होते हुए देखा

हम सब एक है इसमें कोई शक नहीं है. लेकिन अब तक मेरे लिए यह केवल शब्द थे. मुझे हम सब के एक होने का कोई व्यक्तिगत अनुभव नहीं था. होगा भी कैसे आज हमारे देश की आबादी 134 करोड़ को भी पार कर चुकी है. कहते है दुःख में कोई अपना सिर पर बस हाथ ही रख दे तो दुःख आधा हो जाता है. ऐसे ही मुसीबत से जूझते हुए को थोड़ा सा अपनापन दिखा कर उत्साहित कर दे तो काम करने की शक्ति कई गुणा बढ़ जाती है.

आज हम करोना वायरस की त्रासदी के दौर से गुजर रहे है. मन में एक अनजाना सा डर है. सब तरफ अनिश्चितता है. डर बहुत ही बड़ा है और व्यापक है. मृत्यु से डरना मनुष्य के लिए स्वाभाविक है.

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लेकिन हमारे समाज में हमारे कुछ ऐसे भाई बहन भी है जो हमारे लिए सीधा करोना वायरस से टक्कर ले रहे है. हमे बचाने के लिए वो अपना जीवन संकट में डाले हुए है. डॉक्टर्स, नर्से, सफाई कर्मचारी, स्वस्थ विभाग के कर्मचारी, भारतीय रेल के कर्मचारी, विमान विभाग के सभी कर्मचारी, रोडवेज के ड्राइवर्स, कंडक्टर्स और वो हर व्यक्ति जो आज इस virus से हमें बचाने के लिए जूझ रहा है.

22 मार्च 2020, रविवार को भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्दर मोदी जी ने हमारे इन सैनिको की उत्साह वृद्धि और धन्यवाद के लिए सभी भारतियों को इस दिन शाम को 5 बजे 5 मिनट के लिए अपने घर की बालकोनी या छत पर खड़े होकर ताली, थाली या फिर शंख नाद करने के लिए उत्साहित किया.

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जैसे ही 22 मार्च 2020, रविवार को शाम के 5 बजे मैंने देखा कि हमारे भाई और खासतौर पर हमारी बहनें, छोटे बच्चे , घर के सभी सदस्य; सब के सब अपने घर की या तो बालकोनी पर थे या फिर छत पर. कोई ताली बजा रहा था तो कोई थाली बजा रहा था. कोई शंख बजा रहा था तो को ढोल, ढोलक. हर कोई अपनी इस खास सेना का धन्यवाद करना चाहता था. हर कोई उनका उत्साह बढ़ाना चाहता था.

हर छत पर भारतीय था. कोई हिन्दू नहीं था, कोई मुस्लिम नहीं था कोई सिख नहीं था कोई ईसाई नहीं था. हर छत पर भारतीय था. ऐसा लग रहा था कि पूरा भारत छतों पर आ गया हो. कमाल का दृश्य था. 134 करोड़ लोग एक थे. हम सब एक थे. सभी के सभी इंसान थे. सभी के सभी भारतीय थे. किसी के मन में नहीं था कि वो मुस्लिम है, कि वो हिन्दू है. हर किसी के मन में एक ही बात थी कि वो एक भारतीय है.

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