अपने मन को कैसे शुद्ध करे – How to purify your mind

 

मन की अशुद्धि हमें न केवल जीवन से दूर लेकर जाती है बल्कि हमें हमारे समाज की मुख्य धारा से भी दूर ले जाता है. अशुद्ध मन के कारण हमारे जीवन में समस्याएं बढ़ने लगती है. हमारा मन हमारे कण्ट्रोल से बाहर होने लगता है. ऐसा होने से हम अपने ही मन के शिकार बन जाते है.

अशुद्ध मन बेहद ही खतरनाक है. आज कोई बड़ा अपराधी है तो उसकी शुरुआत कभी अशुद्ध मन से ही हुई थी. आज अगर कोई सफल नहीं है तो वो भी अपने अशुद्ध मन के कारण है. मन जब एक बार अशुद्ध होना शुरू होता और उस समय यदि हम सजग नहीं है तो फिर मन हमारे काबू से बाहर होने लगता है. हम बुरी आदतों के शिकार होने लगते है और फिर अपने ही मन के कुचक्र में फंसते चले जाते है.

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आज समाज में अगर बुराई है तो इसका मतलब यह है कि अशुद्ध सोच के व्यक्ति समाज में अधिक है. आज किसी खास समाज में यदि असफलता है तो इसका मतलब यह है कि उस समाज में अशुद्ध मन के लोग अधिक है.

इसलिए सजग रहना होगा. अपने ही मन से सजग रहेना होगा. ऐसा नहीं कि आपका मन बुरा है. मन बुरा नहीं है. मन बहुत ही शक्तिशाली है. इसकी शक्ति का प्रयोग हर कोई नहीं कर सकता. अगर इसकी शक्ति का प्रयोग न करना आये तो यह परमाणु विस्फोट जैसा है. जिसका अगर कण्ट्रोल करना न आता हो तो विध्वंसक हो जाता है. यही हाल हमारे मन का है.

शुद्ध मन शांति लाता है और अशुद्ध मन अशांति लाता है. जीवन में जिस जिस ने सफलता की उच्चाईयों को छुआ उसका मन शुद्ध था.

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अब बात यह है कि मन अगर अशुद्ध है तो उसे शुद्ध कैसे किया जाये. इसके लिए आपको सजग होना होगा. सजग होना होगा अपने ही विचारो के प्रति. कुछ भी करने से पहले थोड़ा सोचना होगा.

सोचने की, चिंतन करने की और मनन करने की एक आदत बनानी होगी. अपने मन में चलने वाली हर सोच पर विश्वास करना बंद करना होगा. हम अगर आँख मूंद कर अगर हम अपने ही मन पर भी विश्वास करने लगेगे तो जीवन अँधेरे की और बढ़ने लगेगा.

याद रखिये अशुद्ध मन कभी भी आपको खुश नहीं रख सकता. इसलिए थोड़ा सा अपने ही मन के बारे में भी सोचने की आदत डालनी होगी. हमारी समस्या यह है कि हम खुद को केवल शरीर मान कर ही जीते है. हमारे मन की ओर कभी हमारा ध्यान जाता ही नहीं. शरीर में अगर थोड़ी से भी समस्या आ जाये तो हम तुरंत सजग हो जाते है और मन की समस्या को हम समस्या मानते ही नहीं.

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सजगता बेहद जरुरी है. रोजाना कुछ समय अकेले अवश्य बिताये. अकेले सैर करने जाये. अकेल बैठ कर कुछ लिखना शुरू करे. अकेले बैठ कर अपने बारे के सोचना शुरू करे. अकेले बैठ कर अपने आसपास के जीवन के बारे में सोचना शुरू करे.

एक प्राणयाम जिसे भ्रामरी प्राणयाम कहते है. वो रोजाना करे. रोजाना ध्यान करने की आदत डाल ले.

एक बात जो सबसे अहम् है कि नकारात्मक लोगो से उचित दुरी बना कर रखे. अगर जीवन में आगे बढ़ना है तो अपनी संगति को बदलना होगा.

सबसे अहम् आपको अपने ही मन के प्रति सजग रहना है. अपने विचारों के प्रति सजग रहना है.

 

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