क्या योग आसनों का सम्बद्ध हमारे ब्रेन से है ?
सबसे पहले हम इस बात को समझ ले की माइंड और ब्रेन दोनों अलग अलग है. माइंड इनविजिबल है यानि दिखाई नहीं देता लेकिन ब्रेन दिखाई देता है. लेकिन दोनों बिलकुल ही अलग बाते है. इसमें कोई शक नहीं है की ध्यान करने से हमारा माइंड न केवल शांत रहने लगता है बल्कि हमारी समझ शक्ति भी बढ़ने लगती है.
लेकिन आज मैं ब्रेन की बात कर रहा हूँ जोकि एक फिजिकल पार्ट है. मैडिटेशन करने से या फिर धार्मिक प्रार्थनाएं करने से ब्रेन में क्या फर्क आता है आज इस पर भी बात हो रही है.
जब हम भगवान के बारे में सोचना शुरू करते है तो हमारे ब्रेन की कुछ खास हिस्सों पर हलचल शुरू हो जाती है. यह हलचल उस समय भी होती है जब हम गहनता से किसी खास वस्तु या मन्त्र पर काम करना शुरू करते है. इसका मतलब यह भी हुआ कि जब हम एकाग्र होना शुरू करते है तो हमारे ब्रेन के कुछ खास हिस्से एक्टिव होने शुरू हो जाते है.
अमेरिका के फिलाडेल्फिया की एक यूनिवर्सिटी में एक रिसर्च हुई है इस बेहद ही रोचक टॉपिक पर. इस रिसर्च का प्रयोग उन लोगो के ब्रेन पर किया गया जो लम्बे से समय से अपने धर्म के अनुसार ध्यान साधना करते आ रहे थे.
इस रिसर्च में यह देखा गया की जो लोग लम्बे समय तक ध्यान साधना करते आ रहे है उनके ब्रेन का frontal lobe में tissues की मोटी परत थी. हमारे दिमाग का यह हिस्सा Attention से सम्बंधित है यानि सजगता से सम्बंधित है. इसका मतलब यह हुआ की जो लोग लम्बे समय से मैडिटेशन करते आ रहे थे वो खुद के प्रति अधिक सजग थे. सजगता बहुत ज्यादा जरुरी है. जीवन में आगे बढ़ने के लिए भी और अध्यात्म में आगे बढ़ने के लिए भी.
इसके ईलावा यह भी देखा गया है कि के ध्यानी का ब्रेन अधिक मात्रा में डोपामाइन नाम का हॉर्मोन पैदा करता है. इस हॉर्मोन की वजह से हमें सजगता और मोटिवेशन मिलती है जोकि जीवन में आगे बढ़ने के लिए बहुत जरुरी होती है.
जब मैं योग आसान सीखने के लिए बिहार स्कूल ऑफ़ योगा मुंगेर गया, जहा से मैंने योग साधना की प्रॉपर ट्रेनिंग ली है. तो मेरे मन का एक हिस्सा इस बात को नहीं मानता था कि ऐसे हाथ पैर को इधर उधर करके क्या हो जाना है. मैं कुछ साइंटिफिक चाहता था. एक्चुअली मैं साइंस बैकग्राउंड से हूँ शायद इसलिए मन खोजी प्रवृति का है.
मन खोजी प्रवृति का होना ही चाहिए उसमे कुछ भी बुरी बात नहीं है. क्यूंकि अगर कोई तकनीक वास्तव में काम करती है तो उसका पूरी मनुष्य जाति को फायदा होना चाहिए ऐसा मेरा मनाना है. लेकिन बात अगर तकनीक की हो दुनिया उसके सबूत मांगती है. सबूत नहीं होंगे तो कोई तकनीक को तकनीक मानेगा नहीं.
एक नए रिसर्च एरिया ने यह काम बहुत आसान कर दिया है. यह है Neurotheology. इसका मतलब है धार्मिक किर्याओं से हमारे ब्रेन पर क्या बदलाव आते है.
योग आसान को अगर बिना ध्यान के किया जाये तो यह महज एक कसरत ही रह जाती है और कोई कसरत एक योग आसान तब बन जाती है जब उसके साथ हम ध्यान को भी जोड़ देते है. यह बड़े ही कमाल की बात है.
अब तक जो कुछ हुआ है वो व्यक्तिगत अनुभव है लेकिन अब ऐसी तकनीक आ गयी है और उन तकनीक की मदद भी ली जा रही है कि कैसे योग हमारे शरीर पर और हमारे ब्रेन पर असर डाल रहा है. आज हम SPECT तकनीक के माध्यम से ब्रेन स्कैन कर सकते है और इस तकनीक के माध्यम से हम यह जान सकते है कि कैसे योग आसान हमारे ब्रेन पर असर डालते है और खासतौर पर ब्रेन के किस हिस्से पर असर डालते है और उस असर का क्या फायदा है.
हर योग आसान को इस तरह से डिजाईन किया गया है कि हमारे ब्रेन के किसी खास हिस्से पर काम करे. या हमारी उस प्रक्रिया का असर हमारे ब्रेन के कुछ खास हिस्सों से रिलेट करे.
ऐसे ही आज SPECT तकनीक से हमने यह भी समझ लिया है कि कैसे प्रार्थना हमारे ब्रेन के किस हिस्से को प्रभावित करती है