संकल्प शक्ति का रहस्य

योगवाशिष्ठ

योगवाशिष्ठ एक भारतीय ग्रन्थ है जोकि रहस्यमयी शाश्त्र है. यह उस समय का ग्रन्थ है जब श्री राम जी ने गुरु वशिष्ट के साथ कुछ समय गुजारा था. तरह तरह का सांसारिक और अध्यात्मिक ज्ञान ऋषि वशिष्ठ ने श्री राम जी को दिया था. आज यह ज्ञान एक अति सुंदर पुस्तक के रूप में विद्यमान है.

दासूरोपख्यान

योग वशिष्ठ में कई तरह के उपख्यान कहे गए है. ऐसा ही एक उपख्यान है जिसका नाम है दासूरोपख्यान. यहा ऋषि वशिष्ठ में बताया है कि:-

सारा जगत संकल्प का ही एक प्रसार है. संकल्प ही सभी पदार्थो का उत्पादक है. संकल्प द्वारा ही संसार की रचना होती है. इस संसार का मतलब है कि बहुत सारे संकल्प एक साथ. यह संसार केवल और केवल एक संकल्प नगर है जोकि शुद्ध चिदाकाश में उदय होता है और इसी में लय हो जाता है.

ये भी पढ़े  Potential Dangers of Energy Healing

इस संकल्प शक्ति के कई नियम है जिनका अगर अनुसरण किया जाये तो जीवन में अपनी सभी इच्छाएं पूर्ण की जा सकती है. हालांकि इच्छाओं को पूर्ण करना अध्यात्मिक यात्रा के विपरीत है. लेकिन भी भी जरुरी कार्यो के लिए संकल्प शक्ति का प्रयोग किया जा सकता है.

संकल्प मन में पैदा होते है और फिर इस संसार में रूप लेने लगते है. इस संसार के सारे रूप और रंग कभी संकल्प थे. लेकिन हर संकल्प रूप नहीं लेता यह भी सत्य है. इसलिए यह जानना अतिआवश्यक है कि संकल्प कैसे रूप और रंगों में परिवर्तित होते है.

शतरुद्रोपख्यान

इसी शाश्त्र योगवाशिष्ठ में एक और उपाख्यान है जिसका नाम है – शतरुद्रोपख्यान. इस उपाख्यान में इस राज़ को बताया गया है.

ये भी पढ़े  Kundalini Awakening and Sexual Desires

“मन में जो संकल्प होता है वही यथासमय सत्य रूप से प्रतीत होने लगता है और मन जितना शुद्ध और पवित्र होता है उतनी ही तीव्रता से संकल्प घनीभूत हो जाता है” – ऋषि वशिष्ठ

शुद्ध मन जैसा संकल्प करता है तुरंत वैसा वैसा होने लगता है. इसके लिए चाहिए शुद्ध मन. मन शुद्ध भी होता है और अशुद्ध भी. योगियों के, ज्ञानियों के मन शुद्ध होते है.

शुद्ध मन कैसा होता है?

विचार रहित मन शुद्ध होता है. मन में जितने कम विचार होंगे मन उतना ही शुद्ध होगा, इसलिए योगियों के और ध्यान करने वालो के मन शुद्ध होते है.

ये भी पढ़े  हीलिंग क्या है?

मन कैसे शुद्ध होता है ?

विचारों को कम करने से मन शुद्ध होने लगता है. उसके लिए ध्यान की विभिन्न विधियाँ है. असल में सारा का सारा खेल मन का ही है. मन के शुद्ध होने से कई तरह के चमत्कार होने लगते है.

भारत में योगियों ने अकसर ऐसे चमत्कार किये है. संकल्प शक्ति का विकास शुद्ध मन में ही हो सकता है.

जो जिस वस्तु को निरंतर चाहता है और जिसका मन शुद्ध है वो उस वस्तु को प्राप्त कर ही लेता है.

 

Sponsors and Support