ध्यान से बढ़ाये स्मरण शक्ति
आज का खान पान ऐसा हो गया है कि कुछ याद ही नहीं रहता और ऊपर से यह Noise Pollution; इस शोरगुल ने तो जैसे सब कुछ ही भुला दिया है. सच ही है कि जैसे-जैसे इंसान तरक्की करता जा रहा है वैसे-वैसे हमारे वजूद को लेकर भी समस्याएँ बढती चली जा रही है.
स्मरण शक्ति तो बस जैसे दूर ही होती जा रही हो. कई बार तो ऐसा होता है कुछ सेकंड्स पहले किया हुआ काम ही भूल जाता है. दूध को गर्म करने रखा और यह भी सोचा कि इस बार याद रखेंगे लेकिन फिर भी भूल गए और नतीजा तो आप जानते ही है.
ऐसा ही न जाने कितने रोज़मर्रा के काम जो पलभर में याद आते है और पलभर में ही दिमाग से गायब हो जाते है.
शोरगुल
शोरगुल फ़ैलाने वालों को भी यह बात सोचनी चाहिए. आखिर यह समस्या तो हम सब की समस्या ही तो है. यह सडको पर बिना ही बात के हॉर्न बजाने वाले तो सच में कमाल के लोग है. कुछ सोचते ही नहीं कि उनके इस Noise Pollution से आखिर किस को फायदा हो रहा है. हॉर्न गाड़ी में लगा है इसका मतलब यह तो नहीं कि बजाते रहो.
खैर हम दूसरों को नहीं बदल सकते यह एक कडवी सच्चाई है. लेकिन हम खुद को बदल सकते है यह एक अनूठा सच भी है. कमज़ोर पड़ती स्मरण शक्ति का कुछ न कुछ तो करना ही होगा. नहीं तो जीवन कठिन होता चला जायेगा.
इसके लिए ध्यान का सहारा अगर लिया जाये तो बात बन सकती है. क्यूंकि दुनियां भर की रिसर्च में यह सिद्ध हुआ है कि ध्यान शान्ति के साथ साथ स्मरण शक्ति को बढ़ाता है. कहते है कि ध्यान अंदर की दुनियां में लेकर जाता है जहाँ अथाह शांति का वास है.
बाहरी शोरगुल
बाहरी शोरगुल तो बाहरी दुनियां की ओर खींच कर चेतना को जैसे हर रहा है. ऐसे में ध्यान हमें अंदर की ओर ले जाता है और ऐसे में हमारे मन को और दिमाग को आराम करने का मौका मिलता है.
ध्यान सच में बेहद खुबसूरत कला है. पता नहीं क्यों लोग ध्यान को धर्म से जोड़ने लगते है. जबकि यह तकनीक है खुद को खूबसूरत बनाने की. मन अगर खुबसूरत होगा तो उसका असर चेहरे पर तो आएगा ही.
दिमाग निश्चित तौर पर बढ़ता ही है. क्यूंकि ध्यान से हम अंतर्मुखी होते है. लेकिन ध्यान का परिणाम तभी अच्छा आता है जब इसे नियमित रूप से किया जाये.
ध्यान करना चाहिए और सबसे जरुरी ध्यान करने से पहले ध्यान को सीखना चाहिए
Acharya Harish