पहली बार ध्यान – First Time Meditation

जब भी हम पहली बार ध्यान करना शुरू करते है तो हम इसके लिए सबसे पहले गूगल या फिर YouTube पर सर्च करते है. यह एक तरह से है भी सही. लेकिन इन्टरनेट पर हमें कई तरह की ध्यान की विधियाँ मिलती है और कई तरह के करवाने वाले भी मिलते है. ऐसे में हम कंफ्यूज हो जाते है कि हमें करे तो क्या करे. अब समझने वाली बात यह है कि ध्यान करने से पहले ध्यान के बारे में समझना जरुरी है. क्यूंकि करना क्या है यह समझ में आ गया तो आगे का रास्ता आसान हो जाता है.

ध्यान क्या है यह समझना बेहद जरुरी है?

वास्तव में हम जो भी सीखते है वो 5 इन्द्रियों के माध्यम से सीखते है. हमारा मन 5 इन्द्रियों के माध्यम से ही सीखने के लिए ही बना है. लेकिन ध्यान इन्द्रियों से परे की बात है. ध्यान को समझने के लिए भी हमें 5 इन्द्रियों से बाहर निकलना होगा, जिसकी हमें आदत ही नहीं है. क्यूंकि जब तक हम सोच रहे है तब तक हम ध्यान नहीं कर रहे है. इस बात को हमें समझना होगा.

प्रत्याहार

योग की भाषा में इन्द्रियों से बाहर निकलने को प्रत्याहार कहा गया है. जब प्रत्याहार होता है इसका हमें अनुभव ही नहीं होता. वास्तव में हम प्रत्याहार के बारे में सोच ही नहीं सकते क्यूंकि सोचा तो वो प्रत्याहार होगा ही नहीं. इसलिए इसे एक अनुभव मानते हुए हमें आगे बढ़ना होता है. सीधे तौर पर यह समझ ले कि कुछ भी सोचा तो प्रत्याहार नहीं होगा.

प्रत्याहार से आगे जाना होगा

प्रत्याहार से आगे निकलना होगा और फिर एक शब्द आता है धारणा. धारणा का सीधा अर्थ है एक ही पॉइंट पर अपने मन को लम्बे समय तक टिकाये रखना. जोकि इतना आसान नहीं है. जब हम ऐसा करने में सफल हो जाते है तो हम ध्यान की दहलीज़ पर पहुँचते है. उसके बाद ध्यान अपने आप ही आ जाता है.

नियमित गाइडेंस जरुरी

अब इन सब बातों को समझते हुए हमें ध्यान की विधि को और तरीके नो निर्धारित करना होता है. यह कार्य गुरु के द्वारा ही होना चाहिए और उसके बाद हमें आगे बढ़ने कल इए नियमित गाइडेंस की जरुरत होती है. अगर नियमित गाइडेंस नहीं मिलेगी तो आगे बढ़ ही नहीं पाएंगे.

 

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