डिप्रेशन बहुत ही खतरनाक है. इतना खतरनाक कि यह बड़ी आसानी से किसी को भी मौत के मुह में लेकर जा सकता है. आज दुनियां का बहुत बड़ा हिस्सा डिप्रेशन से गुजर रहा है. WHO के अनुसार विश्व के लगभग 264 million लोग डिप्रेशन का शिकार है. यह ऐसी घातक बीमारी है कि इसका हमें पता ही नहीं चल पाता. क्यूंकि यह घातक बीमारी धीरे धीरे हमारे माइंड के अंदर दाखिल होती है.
विश्व के डिप्रेशन का शिकार लोग
इस समय विश्व का बहुत बड़ा भाग डिप्रेशन की चपेट में है. इसमें ज्यादातर औरते है. आज विश्व के 264 million लोग डिप्रेशन का शिकार है. यह डाटा सन 2017 का है. 2017 में 264 million में से 4.1% महिलाएं इस रोग की शिकार थी और 2.7% पुरुष इस रोग का शिकार थे. यह डाटा केवल डिप्रेशन का है अगर मानसिक रोगों को मिला दिया जाये तो यह आंकड़ा 792 million तक चला जाता है.
भारत में डिप्रेशन
2017 के ही डाटा के अनुसार भारत में 5.7 करोड़ लोग डिप्रेशन का शिकार थे. यह हमारी कुल आबादी का 4.5% है. मानसिक तनाव का डाटा अलग है. 2017 के ही डाटा के अनुसार भारत में मानसिक तनाव के रोगियों कि संख्या 3.8 करोड़ थी. मानसिक रोगी ही बड़ी जल्दी डिप्रेशन का शिकार बन जाते है.
पढने वाले बच्चे ज्यादा शिकार बनते है
सन 2007 से 2016 तक 75000 students ने आत्महत्या कर ली. इसकी मुख्य वजह बच्चों का माँ बाप के साथ सही Communication न होना और पढाई का अत्यधिक बोझ बताया गया. आज समाज में एक होड़ है. एक दुसरे से आगे बढ़ने की होड़. उसका शिकार केवल विद्यार्थी ही नहीं समाज का हर व्यक्ति है.
NIMHANS के अनुसार भारत में हर 20 में से एक व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार है. यानि लगभग 5% लोग.
डिप्रेशन की वजह
बिना किसी मकसद से आगे बढ़ने की होड़. बिना खुद के मन को समझे कुछ भी करने की होड़. आज का खानपान भी एक मुख्य वजह है. आपसी मेलजोल का कम होना एक वजह है डिप्रेशन की. नींद न आना. खुद को अलग से समय नहीं देना. आपसी बातचीत का कम होना. ऐसी बहुत सारी वजह है. परन्तु मुख्य वजह है अपने ही मन को नहीं समझना.
शरीर के लिए मन को झोंक देना
अपने शरीर के लिए अपने ही मन को झोंक देना. हम अपने ही शरीर को सुख पहुँचाने के लिए अपने मन को ईंधन के रूप में प्रयोग करने लगते है. यही सबसे मुख्य वजह है डिप्रेशन की. हम अपने शरीर को आराम पहुँचाने के लिए के लिए तरह तरह के जतन करते है. लेकिन मन को भूल जाते है. जैसे हमारा शरीर है वैसे हमारा मन भी है. जैसे हम शरीर के लिए काम करते है वैसे ही हमें अपने मन के लिए भी काम करना होगा.
मन के लिए क्या करे
योग आसन करे, प्राणयाम ध्यान करे. खेलों में रूचि ले. नियमित रूप से सैर करे. चिकित्सीय सलाह भी साथ में ले. लेकिन मन को समझना बहुत जरुरी है. हो सकता है कि आप जो कर रहे हो वो ही आपके मन को ना पसंद हो. किसी की भी सफलता के पीछे उसका मन होता है. मन अगर व्यक्ति का साथ देगा तो वो व्यक्ति सफल होगा ही. इसलिए मन को समझना जरुरी है. यह करना हम भूल जाते है.
खुद को समझना सीखे
अपनी आदतों को समझे. अपने मन में उठने वाले विचारों को समझे कि आपका मन क्या चाहता है. केवल होड़ में लग कर अपने ही मन को ईंधन न बना डाले. आत्मविश्वास का विषय है न कि शरीर का. आत्मविश्वास पैदा होगा तो डिप्रेशन और मानसिक तनाव का प्रश्न ही उड़ जायेगा. इसलिए अपने आप को पहले समझे और फिर उस पर काम करना शुरू करे. शरीर को मन चला रहा है इस बात को आधार बनाये.
जैसे शरीर आपका है वैसे ही मन भी आपका ही है. जैसे आप शरीर का ख्याल रखते है वैसे ही अपने मन का ख्याल भी आपको ही रखना है.