Author: Acharya Harish
Story Root Chakra – मूलाधार चक्र
मुख्यरूप से 7 चक्र
मानव शरीर में मुख्यरूप से कुल 7 चक्र होते है. मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्धि, आज्ञा और सहस्त्रार. हर चक्र की अपनी एक ख़ासियत है. यह मानव उर्जा के ऐसे स्थान है जहाँ विभिन्न कार्यो के लिए उर्जा एकत्रित होती है.
यानि यह 7 चक्र एक तरह से घुमती हुई उर्जा के 7 पुंज है. यहाँ उर्जा कम और अधिक होती रहती है. इसके कम या अधिक होने से हमारे जीवन पर अलग अलग प्रकार से प्रभाव है.
पहला चक्र मूलाधार चक्र
इस श्रंखला का पहला चक्र मूलाधार चक्र है. इसका यंत्र 4 पंखुड़ियों वाला एक लाल रंग का फूल है जो ऊपर की ओर खिला हुआ है. इन 4 पंखुड़ियों पर 4 अक्षर खुदे हुए है. पहला अक्षर स है दूसरा व् तीसरा श और चोथा ष है.
यह हमारी गुदा और जेनिटल organ के बीच स्थित है.
मूलाधार चक्र का एक खास फ्रीक्वेंसी पर घूम रहा है इसलिए यह एक खास तरह की आवाज़ कर रहा है. इसके इस तरह से चक्र के रूप में घुमने से जो आवाज़ निकल रही है वो आवाज़ लं जैसी है इसलिए इसका मन्त्र लं है.
मूलाधार चक्र का तत्व पृथ्वी
हर चक्र एक तत्व से सम्बंधित होता है ऐसे ही मूलाधार चक्र के साथ भी है. मूलाधार चक्र का तत्व पृथ्वी है. इसके तत्व पृथ्वी कर यंत्र पीले रंग का एक वर्ग है. मूलाधार चक्र का रंग लाल है और इसके तत्व पृथ्वी का पीला.
इसके बढ़ने और घटने की वजह से हमारे जीवन में बहुत सारे बदलाव होने लगते है. यह हमारी मूलभूत सुविधाओं से सम्बन्ध रखता है.
जब इस चक्र पर उर्जा बढ़ने लगती है तो मूलभूत सुविधाएँ तो बढ़ जाती है लेकिन जीवन में सम्बन्ध बिगड़ने लगते है. जीवन में सब कुछ होते हुए भी कुछ भी अच्छा नहीं लगता. जीवन में तनाव बढ़ जाते है और तनाव अधिक बढ़ जाने से कई तरह की बीमारियाँ शरीर में पैदा हो जाती है. रात को नींद नहीं आती.
जब यह तत्व घट जाता है तो उर्जा का बहाव यहाँ घट जाता है. ऐसा होने पर मूलभूत सुविधाएँ जीवन में घटनी शुरू हो जाती है. जीवन में हर जगह अभाव ही अभाव दिखाई देता है. जीवन को लक्ष्य नहीं मिल पाता है.
इस चक्र का सही होना एक संतुलीय जीवन के लिए बेहद जरुरी है.
इस चक्रों को और इसके तत्व को सही करने के लिए चक्र साधना और तत्व साधना का हम सहारा ले सकते है.
आवाजों की भाषा – Language of Sounds
आवाजों की भाषा
मुझ से जो चाहिए वो दर्स-ए-बसीरत लीजे
मैं ख़ुद आवाज़ हूँ मेरी कोई आवाज़ नहीं (असग़र गोंडवी)
हम आवाजो का प्रयोग करते है अपनीबातों को समझाने के लिए. हम हर आवाज़ को एक मतलब देते है. लेकिनआवाजों की अपनी एक भाषा भी होती है जिस से हम आमतौर पर अनभिज्ञ रहते है. मज़े की बात आपको बताता हूँ कि जो आप और हमने विभिन्न साउंड्स को अर्थ दे रखे है वो उनके वास्तविक अर्थ नहीं है. हरसाउंड कुछ न कुछ इफ़ेक्ट पैदा करती है हमारे जेहन में.
यादें तन्हाई से बातें करती हैं
सन्नाटा आवाज़ बदलता रहता है– (ज़का सिद्दीक़ी)
इस बात को हम संगीत से समझ सकते है. भारत में बड़े बड़े संगीत घराने है. संगीत का चलन भारत में राजा महाराजाओं के काल से चला आ रहा है. कुछ रागों के बारे में बताता हूँ.
मल्हार राग/ मेघ मल्हार, हिंदुस्तानी व कर्नाटिक संगीत में पाया जाता है। मल्हार का मतलब बारिश या वर्षा है और माना जाता है कि मल्हार राग के गानों को गाने से वर्षा होता है। मल्हार राग को कर्नाटिक शैली में मधायामावती बुलाया जाता है। तानसेन और मीरा मल्हार राग में गाने गाने के लिए मशहूर थे। माना जाता है के तानसेन के ‘मियाँ के मल्हार’ गाने से सुखा ग्रस्त प्रदेश में भी बारिश होती थी.
देखा आपने कैसे साउंड के एक खास तरीके ने इस प्रकृति को वर्षा करने को मजबूर कर दिया. एक तरह से इनपुट है साउंड्स. अगर यह विद्या समझ आ जाये तो जीवन में कुछ भी किया जा सकता है.
बादशाह अकबर की जिद पर तानसेन ने दीपक राग गया तो न सिर्फ दीपक अपने आप जल उठे, बल्कि आसपास का माहौल भी तपने लगा। इस राग के असर से खुद तानसेन का शरीर भी भयानक रूप से गर्म होने लगा। उनकी बेटियों ने राग मेघ मल्हार गाकर उस वक्त उनके जीवन की रक्षा की.
इतना कुछ छिपा है आवाजोंमें. बड़े ही कमाल की बाते है यह. मैं बता रहा था कि हर बोले गए शब्द की अपनी एक भाषा है. पतंजलि योग सूत्र में भी इसके बारे में बताया गया है. पतंजलि योग सूत्र में तो कमाल की बात कही गयी है. एक शब्द आता है पतंजलि योग सूत्र में ‘संयम’. जबध्यान, धारणा और समाधि को किसी भी आवाज़ पर लगाया जाये तो उस आवाज़ में छिपा अर्थ अपने आप ही समझ आने लगता है. यहाँ तक कि पक्षियों की आवाज़े, जानवरों की आवाज़े, बदल क्या कह रहे है उसका अर्थ भी समझ आने लगता है. क्यूंकिआवाजों की अपनी ही एक भाषा होती है.
यादों के द्वार पर रह रह के देता है कोई दस्तक
बराबर ज़िंदगी आवाज़ पर आवाज़ देती है
(नज़ीर बनारसी)
एक अलग ही विज्ञानं है यह
एक अलग ही विज्ञानं है यह. आवाजो का विज्ञानं. सीखा जा सकता है. अभ्यास से, अभ्यास से ही आएगा. मुश्किल नहीं है. हर आवाज़ को ध्यान से सुनने की आदत डाल लीजिये बस . थोड़ी देर पक्षियों की आवाजो को सुनिए. किसी ऐसी जगह पर जाईये जहाँ बहुतसारेपक्षी हो. थोडा वक़्त उनके साथ गुजरियें. कुछ क्षण के लिए अपनेमनको चुप करवा कर पक्षियों की आवाज़ों पर ध्यान दीजिये. समझने की कौशिश कीजिये. केवल ऐसा करने से ही आनंद आएगा. मन को बहुत अच्छा लगेगा. यह भी एक तरह का ध्यान है. जबआपका घर पर ध्यान नहीं लग रहा हो तो यह ध्यान आपके काम आएगा. औरअगर इसका अभ्यास आगे बढ़ता चल गया तो इस विद्या को भी सीख जायेगे.
मौलाना मुहम्मद जलालुद्दीन रूमी
मौलाना मुहम्मद जलालुद्दीन रूमी. नका जन्म फारस देश के प्रसिद्ध नगर बल्ख़ में सन् 1207 में हुआ था। कमाल की बात यह है कि फारसीके मशहूर अध्यात्मिकशायरऔर सूफी के दिग्गज भी व्ही बात कह रहे है जो महर्षि पतंजलि ने कही है और भारतीय दर्शन शाश्त्र कहता है. हालाँकिमौलाना मुहम्मद जलालुद्दीन रूमी काहिंदुस्तान की धरती से कोई खास वास्ता नहीं है क्यूंकि उनके जीवन का ज्यादातर हिस्सा युवावस्था में सीरिया के दमिश्क, एलेप्पो औरतुर्की, अफगानिस्तान में बीता.
अक्सर इनकी रचनाये पढ़ते पढ़ते मुझे लगता है कि मैं भगवद्गीता का कोई अध्याय पढ़ रहा हूँ, कभी लगता कि मैं पतंजलि योग सूत्र पढ़ रहा हूँ. उनकी लिखी एक रचना का एक भाग पढ़ कर सुनाता हूँ.
यक-नफ़से ख़मोश कुन दर ख़मुशी ख़रोश कुन
वक़्त-ए-सुख़न तू ख़ामुशी दर ख़मुशी तू नातिक़ी (रूमी)
एक क्षण के लिए चुप हो जाओ! और मौन की अवस्था में कलरव करो! जब तुम बोलते हो तो कुछ नहीं कह पाते पर जब चुप रहते हो तब तुम उत्तम वक्ता होते हो।
फिर वही बात
“अजीब शौर मचाने लगे है सन्नाटे,
ये किस तरह की खामौशी हर इक सदा में है”
(आसीम वास्ती)
ब्रेन और ध्यान – Brain & Meditation
क्या योग आसनों का सम्बद्ध हमारे ब्रेन से है ?
सबसे पहले हम इस बात को समझ ले की माइंड और ब्रेन दोनों अलग अलग है. माइंड इनविजिबल है यानि दिखाई नहीं देता लेकिन ब्रेन दिखाई देता है. लेकिन दोनों बिलकुल ही अलग बाते है. इसमें कोई शक नहीं है की ध्यान करने से हमारा माइंड न केवल शांत रहने लगता है बल्कि हमारी समझ शक्ति भी बढ़ने लगती है.
लेकिन आज मैं ब्रेन की बात कर रहा हूँ जोकि एक फिजिकल पार्ट है. मैडिटेशन करने से या फिर धार्मिक प्रार्थनाएं करने से ब्रेन में क्या फर्क आता है आज इस पर भी बात हो रही है.
जब हम भगवान के बारे में सोचना शुरू करते है तो हमारे ब्रेन की कुछ खास हिस्सों पर हलचल शुरू हो जाती है. यह हलचल उस समय भी होती है जब हम गहनता से किसी खास वस्तु या मन्त्र पर काम करना शुरू करते है. इसका मतलब यह भी हुआ कि जब हम एकाग्र होना शुरू करते है तो हमारे ब्रेन के कुछ खास हिस्से एक्टिव होने शुरू हो जाते है.
अमेरिका के फिलाडेल्फिया की एक यूनिवर्सिटी में एक रिसर्च हुई है इस बेहद ही रोचक टॉपिक पर. इस रिसर्च का प्रयोग उन लोगो के ब्रेन पर किया गया जो लम्बे से समय से अपने धर्म के अनुसार ध्यान साधना करते आ रहे थे.
इस रिसर्च में यह देखा गया की जो लोग लम्बे समय तक ध्यान साधना करते आ रहे है उनके ब्रेन का frontal lobe में tissues की मोटी परत थी. हमारे दिमाग का यह हिस्सा Attention से सम्बंधित है यानि सजगता से सम्बंधित है. इसका मतलब यह हुआ की जो लोग लम्बे समय से मैडिटेशन करते आ रहे थे वो खुद के प्रति अधिक सजग थे. सजगता बहुत ज्यादा जरुरी है. जीवन में आगे बढ़ने के लिए भी और अध्यात्म में आगे बढ़ने के लिए भी.
इसके ईलावा यह भी देखा गया है कि के ध्यानी का ब्रेन अधिक मात्रा में डोपामाइन नाम का हॉर्मोन पैदा करता है. इस हॉर्मोन की वजह से हमें सजगता और मोटिवेशन मिलती है जोकि जीवन में आगे बढ़ने के लिए बहुत जरुरी होती है.
जब मैं योग आसान सीखने के लिए बिहार स्कूल ऑफ़ योगा मुंगेर गया, जहा से मैंने योग साधना की प्रॉपर ट्रेनिंग ली है. तो मेरे मन का एक हिस्सा इस बात को नहीं मानता था कि ऐसे हाथ पैर को इधर उधर करके क्या हो जाना है. मैं कुछ साइंटिफिक चाहता था. एक्चुअली मैं साइंस बैकग्राउंड से हूँ शायद इसलिए मन खोजी प्रवृति का है.
मन खोजी प्रवृति का होना ही चाहिए उसमे कुछ भी बुरी बात नहीं है. क्यूंकि अगर कोई तकनीक वास्तव में काम करती है तो उसका पूरी मनुष्य जाति को फायदा होना चाहिए ऐसा मेरा मनाना है. लेकिन बात अगर तकनीक की हो दुनिया उसके सबूत मांगती है. सबूत नहीं होंगे तो कोई तकनीक को तकनीक मानेगा नहीं.
एक नए रिसर्च एरिया ने यह काम बहुत आसान कर दिया है. यह है Neurotheology. इसका मतलब है धार्मिक किर्याओं से हमारे ब्रेन पर क्या बदलाव आते है.
योग आसान को अगर बिना ध्यान के किया जाये तो यह महज एक कसरत ही रह जाती है और कोई कसरत एक योग आसान तब बन जाती है जब उसके साथ हम ध्यान को भी जोड़ देते है. यह बड़े ही कमाल की बात है.
अब तक जो कुछ हुआ है वो व्यक्तिगत अनुभव है लेकिन अब ऐसी तकनीक आ गयी है और उन तकनीक की मदद भी ली जा रही है कि कैसे योग हमारे शरीर पर और हमारे ब्रेन पर असर डाल रहा है. आज हम SPECT तकनीक के माध्यम से ब्रेन स्कैन कर सकते है और इस तकनीक के माध्यम से हम यह जान सकते है कि कैसे योग आसान हमारे ब्रेन पर असर डालते है और खासतौर पर ब्रेन के किस हिस्से पर असर डालते है और उस असर का क्या फायदा है.
हर योग आसान को इस तरह से डिजाईन किया गया है कि हमारे ब्रेन के किसी खास हिस्से पर काम करे. या हमारी उस प्रक्रिया का असर हमारे ब्रेन के कुछ खास हिस्सों से रिलेट करे.
ऐसे ही आज SPECT तकनीक से हमने यह भी समझ लिया है कि कैसे प्रार्थना हमारे ब्रेन के किस हिस्से को प्रभावित करती है
ध्यान करने के 7 अद्धभुत उपाय – 7 Amazing Tips for Meditation
ध्यान है क्या?
ध्यान करने से पहले इस बात को समझना होगा कि ध्यान क्या है? ध्यान साधना की विधि भी समझनी जरुरी है. ध्यान एक घटना है. एक अद्धभुत घटना. यह कहना ही गलत है मैं ध्यान कर रहा हूँ क्यूंकि ध्यान घटित होता है. हम केवल और केवल ध्यान कि तैयारी कर सकते है.
उपाए नंबर 1 – ध्यान करने का स्थान
यह बहुत ही मुख्य है कि आप किस स्थान पर ध्यान करते है. हर स्थान की अपनी एक उर्जा होती है. उस स्थान कि उर्जा ध्यान में सहायक भी हो सकती है और असहायक भी. इसलिए उचित स्थान आवश्यक है.
यह उचित जगह आपके घर का ही कोई कोना हो सकता है. कौशिश करे कि रोजाना एक ही जगह पर ध्यान करे और उस स्थान को किसी और कार्य के लिए प्रयोग नहीं करे. ऐसा करने से उस जगह की उर्जा बनी रहती है.
उपाए नंबर 2 – ध्यान से पहले प्रार्थना
यह बहुत ही जरुरी है. हम किस के लिए ध्यान में जाना चाह रहे है यह बात खुद हमें अच्छी तरह पता होनी चाहिए. वैसे तो ध्यान खुद को समझने के लिए किया जाता है. लेकिन ध्यान में की जाने वाली प्रार्थनाएं भी अवश्य पूर्ण होती है.
प्रार्थना में अद्धभुत शक्ति होती है. हमारी प्रार्थना ही हमें हमारे इष्टदेव से जोड़े रखती है.
उपाए नंबर 3 – प्राणयाम का प्रयोग
प्राणयाम प्राण विद्या का अंग है. महर्षि पतंजलि ने इसे ध्यान का जरुरी अंग बताया है. इसलिए ही महर्षि पतंजलि ने प्राणायाम को अष्टांग योग का हिस्सा बनाया है. प्राणयाम से मन शांत होता है. केवल प्राणायाम करने से भी हम गहरे ध्यान में जा सकते है. इसकी वजह यह है कि प्राणयाम के बाद प्रत्याहार होता है. प्रत्याहार एक ऐसा अनुभव है जिसमे हम अपनी इन्द्रियों को इस संसार से हटा लेते है.
प्राणयाम नियमित रूप से करने से आपके अंदर एक अलग तरह का आत्मविश्वास पैदा होने लगता है.
उपाए नंबर 4 – खाली पेट ध्यान करे
यह बात समझना बहुत जरुरी है कि ध्यान के वक़्त हमारा शरीर भी हमारा साथ दे. शरीर तब साथ देगा जब शरीर साथ देने कि स्थिति में होगा. खाना खाने के बाद शरीर को चला रही शक्तियां खाने को पचाने में लग जाती है. ऐसे में यदि हम ध्यान करना शुरू करते है तो शरीर हमारा साथ नहीं देता है. इसलिए ध्यान या तो खाना खाने के कम से कम 2 घंटे बाद करे या फिर खाना खाने से पहले करे.
उपाए नंबर 5 – रीढ़ की हड्डी को सीधा रखे
ध्यान के उठने वाली उर्जा रीढ़ की हड्डी में ऊपर की ओर उठती है. इसलिए रीढ़ की हड्डी को सीधा रखना बहुत जरुरी होता है. अगर रीढ़ की हड्डी सीधी न हो उर्जा को सही दिशा नहीं मिली तो वो उर्जा शरीर में अलग तरह के सपंदन पैदा करने लगती है.
उपाए नंबर 6 – नंगे पाँव जमीन पर चले
यह भी ध्यान का एक जरुरी अंग है. कई बार ध्यान के उठने वाली उर्जाओं को दिशा नहीं मिल पाती. ऐसे में शरीर में पैदा हुई उर्जाओं को पृथ्वी में उतरना जरुरी होता है. इसलिए हमें नंगे पाँव मिटटी पर या फिर हरी घास पर चलना चाहिए. अगर मिटटी या हरी खास पर चलना संभव नहीं हो तो घर में फर्श पर चलना चाहिए.
उपाए नंबर 7 – ध्यान के बाद मौन में रहे
जितनी देर का भी आप ध्यान करे. उसके अंत में में कम से कम 5 मिनट का मौन अवश्य रखे. मौन के दौरान अपने मन को भी चुप रखने की कौशिश करे. यह मौन आपके लिए अंत्यंत आवश्यक है. अंत में की गयी मौन की प्रैक्टिस आपको बहुत कुछ दे कर जाती है.
डिप्रेशन से कैसे बचे
डिप्रेशन बहुत ही खतरनाक है. इतना खतरनाक कि यह बड़ी आसानी से किसी को भी मौत के मुह में लेकर जा सकता है. आज दुनियां का बहुत बड़ा हिस्सा डिप्रेशन से गुजर रहा है. WHO के अनुसार विश्व के लगभग 264 million लोग डिप्रेशन का शिकार है. यह ऐसी घातक बीमारी है कि इसका हमें पता ही नहीं चल पाता. क्यूंकि यह घातक बीमारी धीरे धीरे हमारे माइंड के अंदर दाखिल होती है.
विश्व के डिप्रेशन का शिकार लोग
इस समय विश्व का बहुत बड़ा भाग डिप्रेशन की चपेट में है. इसमें ज्यादातर औरते है. आज विश्व के 264 million लोग डिप्रेशन का शिकार है. यह डाटा सन 2017 का है. 2017 में 264 million में से 4.1% महिलाएं इस रोग की शिकार थी और 2.7% पुरुष इस रोग का शिकार थे. यह डाटा केवल डिप्रेशन का है अगर मानसिक रोगों को मिला दिया जाये तो यह आंकड़ा 792 million तक चला जाता है.
भारत में डिप्रेशन
2017 के ही डाटा के अनुसार भारत में 5.7 करोड़ लोग डिप्रेशन का शिकार थे. यह हमारी कुल आबादी का 4.5% है. मानसिक तनाव का डाटा अलग है. 2017 के ही डाटा के अनुसार भारत में मानसिक तनाव के रोगियों कि संख्या 3.8 करोड़ थी. मानसिक रोगी ही बड़ी जल्दी डिप्रेशन का शिकार बन जाते है.
पढने वाले बच्चे ज्यादा शिकार बनते है
सन 2007 से 2016 तक 75000 students ने आत्महत्या कर ली. इसकी मुख्य वजह बच्चों का माँ बाप के साथ सही Communication न होना और पढाई का अत्यधिक बोझ बताया गया. आज समाज में एक होड़ है. एक दुसरे से आगे बढ़ने की होड़. उसका शिकार केवल विद्यार्थी ही नहीं समाज का हर व्यक्ति है.
NIMHANS के अनुसार भारत में हर 20 में से एक व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार है. यानि लगभग 5% लोग.
डिप्रेशन की वजह
बिना किसी मकसद से आगे बढ़ने की होड़. बिना खुद के मन को समझे कुछ भी करने की होड़. आज का खानपान भी एक मुख्य वजह है. आपसी मेलजोल का कम होना एक वजह है डिप्रेशन की. नींद न आना. खुद को अलग से समय नहीं देना. आपसी बातचीत का कम होना. ऐसी बहुत सारी वजह है. परन्तु मुख्य वजह है अपने ही मन को नहीं समझना.
शरीर के लिए मन को झोंक देना
अपने शरीर के लिए अपने ही मन को झोंक देना. हम अपने ही शरीर को सुख पहुँचाने के लिए अपने मन को ईंधन के रूप में प्रयोग करने लगते है. यही सबसे मुख्य वजह है डिप्रेशन की. हम अपने शरीर को आराम पहुँचाने के लिए के लिए तरह तरह के जतन करते है. लेकिन मन को भूल जाते है. जैसे हमारा शरीर है वैसे हमारा मन भी है. जैसे हम शरीर के लिए काम करते है वैसे ही हमें अपने मन के लिए भी काम करना होगा.
मन के लिए क्या करे
योग आसन करे, प्राणयाम ध्यान करे. खेलों में रूचि ले. नियमित रूप से सैर करे. चिकित्सीय सलाह भी साथ में ले. लेकिन मन को समझना बहुत जरुरी है. हो सकता है कि आप जो कर रहे हो वो ही आपके मन को ना पसंद हो. किसी की भी सफलता के पीछे उसका मन होता है. मन अगर व्यक्ति का साथ देगा तो वो व्यक्ति सफल होगा ही. इसलिए मन को समझना जरुरी है. यह करना हम भूल जाते है.
खुद को समझना सीखे
अपनी आदतों को समझे. अपने मन में उठने वाले विचारों को समझे कि आपका मन क्या चाहता है. केवल होड़ में लग कर अपने ही मन को ईंधन न बना डाले. आत्मविश्वास का विषय है न कि शरीर का. आत्मविश्वास पैदा होगा तो डिप्रेशन और मानसिक तनाव का प्रश्न ही उड़ जायेगा. इसलिए अपने आप को पहले समझे और फिर उस पर काम करना शुरू करे. शरीर को मन चला रहा है इस बात को आधार बनाये.
जैसे शरीर आपका है वैसे ही मन भी आपका ही है. जैसे आप शरीर का ख्याल रखते है वैसे ही अपने मन का ख्याल भी आपको ही रखना है.
Child Meditation Course Progress Report
Free Child Meditation Course
विश्वभर के बच्चों को फ्री योग और ध्यान सिखाने के लिए हमने ऑनलाइन बच्चों के लिए ध्यान पर एक कोर्स शुरू किया है. इस कोर्स का नाम “Child Meditation Course” है. इस कोर्स में ऑफलाइन वर्क के लिए विडियो भेजे जाते है और ऑनलाइन क्लासेस भी ली जाती है.
Progress Report
Course Start Date – 21st June 2020 (International Yoga Day)
यह कोर्स 21st जून 2020 रविवार, इंटरनेशनल योगा डे के दिन शुरू हुआ.
First Introductory Video
इससे पहले हमने कोर्स का Introductory Video 17th जून 2020 बुधवार को ही सभी को भेज दिया था. ताकि सभी बच्चे समझ सके कि उन्हें कोर्स के क्या करवाया जायेगा.
First Online Meet
हमारी पहली Zoom Meeting 20th जून 2020 शनिवार शाम 6:30 को हुई जिसमे विश्वभर के बच्चों ने भाग लिया. शनिवार
इसी शाम ही हमने कोर्स का पहला विडियो सभी बच्चों को भेज दिया जिस से सभी बच्चे 21st जून 2020 रविवार, इंटरनेशनल योगा डे के दिन कोर्स शुरू कर पाए.
Second Online Meet
हमारी दुसरी ऑनलाइन मीटिंग 27th June 2020 शनिवार के दिन निश्चित हुई है.
Duration of the course
21st जून 2020 से 21 अगस्त 2020 – 2 महीने रहेगी.
Numbers of Online Meetings
इस कोर्स के कुल 8 ऑनलाइन मीटिंग्स होगी.
इस कोर्स के बाद भी योग माई लाइफ बच्चों के लिए ऑनलाइन कोर्सेज का आयोजन करता रहेगा.
स्वर विज्ञानं पर आपके प्रश्न और हमारे उत्तर
स्वर विज्ञानं प्रश्न उत्तर
स्वर विज्ञानं
प्रश्न – स्वर योग क्या है ?
उत्तर – स्वर योग हमारी सांसो के पीछे छिपा एक अद्धभुत विज्ञानं है जो हर क्षण हमें अच्छे और बुरे समय के बारे में बताता रहता है. कब क्या करना चाहिए क्यों करना चाहिए यह हमें स्वर योग से पता चलता है.
प्रश्न – स्वर योग की खोज किसने की थी?
उत्तर – स्वर योग की खोज हुई यह नहीं कह सकते. यह ज्ञान भगवान शिव ने माता पार्वती को दिया था. यह शिव स्वरोदय नाम के शाश्त्र में आज भी उल्लेखित है.
प्रश्न – स्वर विज्ञानं का अध्यात्मिक पहलु क्या है ?
उत्तर – हर योगी का उदेश्य आपने आपको ऐसी स्थिति में लेकर आना होता है कि उसकी नाड़ी सुष्म्ना हो जाये और तत्व आकाश हो जाये. यह स्वर विज्ञानं का अध्यात्मिक पहलु है.
नाड़ी विज्ञानं
प्रश्न – नाड़ी क्या होती है?
उत्तर – नाड़ी शब्द सुनने से ऐसा प्रतीत होता है शरीर के अंदर फैली हुई नाड़ियाँ जिनमे रक्त बह रहा हो. लेकिन स्वर विज्ञानं में नाड़ी का आशय यह बिलकुल भी नहीं है. स्वर विज्ञानं में नाड़ी का मतलब है एक ऐसा सूक्ष्म रास्ता जिसमे प्राण बहता हो.
प्रश्न – प्राण क्या होता है?
उत्तर – प्राण वो उर्जा है वो शक्ति है जो हम सभी पर काम कर रही है. जो हम सब को जीवित रखे हुए है.
प्रश्न – कितने प्रकार की नाड़ियाँ होती है ?
उत्तर – स्वर शाश्त्र में मुख्यता तीन प्रकार की नाड़ियों पर काम किया जाता है. यह नाड़ियाँ है – पिंगला नाड़ी, इड़ा नाड़ी और सुष्म्ना नाड़ी.
प्रश्न – पिंगला नाड़ी क्या है ?
उत्तर – जब हमारी साँस हमारी दाहिनी नासिका से बह रही होती है तो इस अवस्था को हम कहते है कि पिंगला नाड़ी चल रही है. पिंगला को सूर्य नाड़ी कहते है.
प्रश्न – इड़ा नाड़ी क्या है ?
उत्तर – जब हमारी साँस हमारी बायीं नासिका से बह रही होती है तो इस अवस्था को हम कहते है कि इड़ा नाड़ी चल रही है. इड़ा को चन्द्र नाड़ी कहते है.
प्रश्न – सुष्म्ना नाड़ी क्या है ?
उत्तर – जब हमारी साँस हमारी दोनों नासिकाओं से एक समान बह रही होती है तो इस अवस्था को हम कहते है कि सुष्म्ना नाड़ी चल रही है. सुष्म्ना एक न्यूट्रल नाड़ी कहते है.
प्रश्न – इन नाड़ियों के बारे में जानने से क्या होता है?
उत्तर – इन नाड़ियों से हमें पता चलता है कि हमें किस समय में कौनसा कार्य करना चाहिए. जैसे जब सुष्म्ना चल रही हो तो हमें कोई भी भौतिक कार्य नहीं करना चाहिए.
जीवन के लाभ
प्रश्न – स्वर विज्ञानं सीखने से आम जीवन में क्या फायदा हो सकता है?
उत्तर – स्वर योग का आम जीवन में बहुत ही अच्छा प्रयोग है. इस से हमें जीवन में अच्छे और बुरे होने के सिग्नल मिलते है. कौनसा काम आपके लिए अच्छा होगा इसका पता आप इस सूक्ष्म विज्ञानं को सीख कर लगा सकते है.
प्रश्न – मुझे स्वर विज्ञानं क्यों सीखना चाहिए?
उत्तर – क्यूंकि यह अद्दभुत शाश्त्र न केवल आपके भौतिक जीवन को रास्ता दिखाता है बल्कि अध्यात्मिक यात्रा में आपको बहुत आगे लेकर जाने में मदद करता है.
पांच तत्व
प्रश्न – क्या स्वर विज्ञानं के तत्वों का भी समावेश होता है?
उत्तर – बिलकुल स्वर विज्ञानं के हमारी सांसो में 5 तत्वों की उपलब्धता के बारे में सिखाया जाता है. इन तत्वों का स्वर शाश्त्र के बहुत अधिक महत्व है.
प्रश्न – यह पांच तत्व कौन कौन से होते है?
उत्तर – यह पांच तत्व है – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश.
सूर्य और चन्द्र के साथ सम्बन्ध
प्रश्न – स्वर विज्ञानं का चंद्रोदय और सूर्योदय से क्या सम्बन्ध है?
उत्तर – नाड़ियों का हमारी नासिकाओं के उदय होना कि कब कौनसी नाड़ी चलेगी यह चंद्रोदय और सूर्योदय निर्धारित होता है. जैसे जब शुक्ल पक्ष होता है तो सूर्योदय के समय चद्र नाड़ी चलनी चाहिए. इन सब बातो का ज्ञान स्वर योग में दिया जाता है.
मेडिकल साइंस के साथ सम्बन्ध
प्रश्न – स्वर शास्त्र का संबध आज की मॉडर्न मेडिकल साइंस से कैसे है?
उत्तर – हमारी नाड़ियों का सम्बन्ध हमारे ब्रेन के हेमी स्फीयर (Hemi Spheres) से है. पिंगला नाड़ी का सम्बन्ध लेफ्ट हेमी स्फीयर (Left Hemisphere)से है और इड़ा नाड़ी का सम्बन्ध राईट हेमी स्फीयर (Right Hemisphere) से है
Healing Course FAQ – हीलिंग कोर्स पर प्रश्न उत्तर
Healing Course FAQ – हीलिंग कोर्स पर प्रश्न उत्तर
प्रश्न – हीलिंग क्या है?
उत्तर – हीलिंग एक उपचार पद्धति है. इसमें प्राण उर्जा के विभिन्न रूपों का प्रयोग किया जाता है.
प्रश्न – मुख्य तौर पर हीलिंग कितने प्रकार कि होती है?
उत्तर – मुख्यतौर पर हीलिंग 2 प्रकार की होती है. बहिये हीलिंग (External Healing) आन्तरिक हीलिंग (Internal Healing)
प्रश्न – योग माई लाइफ पर किस तरह की हीलिंग सिखाई जाती है?
उत्तर – योगा माई लाइफ पर बहिये हीलिंग (External Healing) ही सिखाई जाती है.
प्रश्न – कौनसी हीलिंग अच्छी होती है?
उत्तर – बहिये हीलिंग (External Healing) अच्छी होती है.
प्रश्न – बहिये हीलिंग (External Healing) क्यों अच्छी होती है?
उत्तर – क्यूंकि इसमें हम बहिये उर्जा का प्रयोग करके सामने वाले को हीलिंग भेजते है. ऐसा करते हुए हमारी खुद की हीलिंग भी साथ में हो जाती है,
प्रश्न – क्या दुसरे व्यक्ति को बिना बताये उसकी हीलिंग की जा सकती है?
उत्तर – जी बिलकुल किसी भी की हीलिंग उसे बिना बताये की जा सकती है.
प्रश्न – क्या हीलिंग करते समय कोई आत्मा वैगरह आस पास आ जाते है?
उत्तर – नहीं ऐसा बिलकुल भी नहीं है.
प्रश्न – क्या हीलिंग को ऑनलाइन सीखा जा सकता है?
उत्तर – आज हमारे पास ऑनलाइन सिखने के और सिखाने के अच्छे अच्छे साधन उपलब्ध है. इसलिए आज हीलिंग को ऑनलाइन भी सीखा जा सकता है.
प्रश्न – हीलिंग कोर्स ऑनलाइन कैसे चलता है?
उत्तर – 4 तरीके से इस कोर्स को करवाया जाता है – छोटे छोटे विडियो भेजे जाते है, ऑनलाइन क्लास दी जाती है, ऑनलाइन फॉर्म सबमिट करवाए जाते है और पर्सनल काउन्सलिंग की जाती है.
प्रश्न –क्या हीलिंग से डिप्रेशन ठीक हो सकता है ?
उत्तर – बिलकुल हो सकता है. हम अपने रूटीन ट्रीटमेंट के साथ हीलिंग थेरेपी अपना सकते है.
प्रश्न – हीलिंग किस धर्म का व्यक्ति कर सकता है?
उत्तर – हीलिंग किसी भी धर्म का व्यक्ति कर सकता है और करवा भी सकता है क्यूंकि किस भी पद्धति का कोई धर्म नहीं होता.
प्रश्न – जिसकी हीलिंग करनी हो तो क्या उस व्यक्ति का सामने होना जरुरी है?
उत्तर – नहीं जिसकी हीलिंग करनी हो उसका सामने होना जरुरी नहीं है.
प्रश्न – क्या किसी दुसरे देश में बैठे हुए व्यक्ति की हीलिंग की जा सकती है?
उत्तर – बिलकुल किसी भी दुसरे देश में बैठे व्यक्ति की हीलिंग की जा सकती है. हीलिंग में दूरियां मायने नहीं रखती. किसी की भी हीलिंग की जा सकती है चाहे कोई कितना भी दूर बैठा हो.
प्रश्न – जिसकी हीलिंग करनी है क्या वो हमारी जान-पहचान वाला होना चाहिए?
उत्तर – नहीं ऐसा नहीं है. जिसे आप बिलकुल भी नहीं जानते आप उसकी भी हीलिंग कर सकते है. हीलिंग के लिए व्यक्ति को जानना जरुरी नहीं है.
प्रश्न – अगर हमारे पास सामने वाले का केवल फोटो हो तो भी हम उसकी हीलिंग कर सकते है?
उत्तर – जी बिलकुल सही. केवल फोटो हो या फिर फोटो न भी हो और उस व्यक्ति का केवल नाम पता हो तो भी उस व्यक्ति या स्थान की हीलिंग की जा सकती है.
प्रश्न – क्या हीलिंग से आपसी रिश्तों को सुधारा जा सकता है?
उत्तर – बिलकुल हीलिंग आपसी रिश्तों पर बखूबी काम करती है. नियमित रूप से हीलिंग करने से आपसी रिश्ते सुधरने लगते है.
प्रश्न – क्या किसी स्थान की भी हीलिंग की जा सकती है?
उत्तर – बिलकुल किसी भी स्थान की जैसे अपने घर की, अपने ऑफिस की, या अपनी दूकान की या किसी भी स्थान की हीलिंग की जा सकती है.
प्रश्न – क्या हीलिंग जानवरों पर भी काम करती है?
उत्तर – जी बिलकुल हीलिंग जानवरों पर भी काम करती है.
प्रश्न – हेअलिग़ के रिजल्ट्स कितने समय के बाद मिलने लग जाते है?
उत्तर – यह हीलिंग करने वाले पर निर्भर करता है कि वह कितने अच्छे से हीलिंग कर रहा है. वैसे 2 से 3 दिन में ही रिजल्ट्स मिलने कि शुरुआत हो जाती है.
प्रश्न – क्या हीलिंग के लिए कोई विशेष योग्यता होनी जरुरी है?
उत्तर – हीलिंग के लिए ध्यान करना एक अनिवार्य योग्यता है. जितना अधिक आप ध्यान करेंगे उतना अधिक आप हीलिंग करने में सफल हो पाएंगे.
प्रश्न – क्या हीलिंग से कोई साइड इफ़ेक्ट भी होता है ?
उत्तर – नहीं हीलिंग से कोई भी साइड इफ़ेक्ट नहीं होता?
प्रश्न – क्या हीलिंग करने से हमारी उर्जा में कमी आ जाती है?
उत्तर – ऐसा नहीं है. हाँ कई बार गलती से जब हम अपनी उर्जा दुसरे को भेजने लगते है तो ऐसा हो सकता है. हमें इसके लिए ज्यादा से ज्यादा बहिये हीलिंग पद्धति का ही इस्तेमाल करना चाहिए.
आप जानते है कि हम राम राम क्यों भजते है ?
आप जानते है कि हम राम राम क्यों भजते है ?
आपने आकर्षण के नियम के बारे में सुना होगा. Law of attraction के बारे में. हालाँकि यह विषय विज्ञानं का है परन्तु अध्यात्म में और वैल्यू एजुकेशन में इसका अत्यधिक महत्व है. इस दुनियां कि हर वस्तु हर दुसरी वस्तु को अपनी ओर खींच रही है. जीव निर्जीव कुछ भी हो. यह कमाल की बात है.
यह नियम इतना कमाल का है कि यह हमारे अंदर के गुणों पर भी लागु होता है. इसलिए यह वैल्यू एजुकेशन का एक खास विषय है.
कबीर ने इसे बड़े ही खास अंदाज में कहा है
ऐक घड़ी आधो घड़ी , आधो हुं सो आध
कबीर संगति साधु की, कटै कोटि अपराध.
एक क्षण,आध क्षण, आधे का भी आधा क्षण के लिये यदि साधु संतों की संगति की जाये तो हमारे करोड़ों पाप नष्ट हो जाते है.
एक क्षण फिर आधा क्षण और आधा भी नहीं तो उस आधे का भी आधा क्षण भी यदि किस सच्चे साधू का संग मिल जाये तो उसी समय आकर्षण का नियम काम करने लगता है और बस इतनी देर तक के लिए भी साधू का साथ मिल जाये तो करोड़ो पाप नष्ट हो जाते है.
Law of Attraction
पॉजिटिव को पॉजिटिव अपनी ओर खींचता है और नेगेटिव को नेगेटिव. अध्यात्मिक जगत में जो अति उच्च अवस्था वाले साधक होते है वो जल्दी से किसी से मिलते नहीं है. उसकी एक वजह होती है कि उनके चारो और इतना शक्तिशाली उर्जा का घेरा होता है कि कोई भी जब उनके पास आता है तो आकर्षण के नियम के कारण उनकी उर्जा दुसरे साधक में बड़ी आसानी से जाने लगती है.
मज़े की बात यह है कि यह नियम नज़दीक से भी काम करता है और दूर से भी. हमारे धर्म शाश्त्रो में यह बताया जाता है कि साधू पुरुषो का केवल ध्यान करने से जीवन मंगलमय होने लगता है.
Real Fact about Hindus
तभी हम अपने गहरो में महान पुरुषों की तस्वीरें लगते है. जैसे हम अपने देश की महान हस्तियों के, अपने गुरुओं के, महान धर्मो के महान व्यक्तियों के. ताकि हमारी जब जब हमारी उन पर नज़र पड़े और आकर्षण के नियम के कारण हमें उनसे उर्जा मिल सके.
यह केवल देखने की बात हुई. यानि देखने मात्र से और संगती मात्र से आकर्षण का नियम काम करने लगता है और यह उर्जा इस तरह से काम करने लगती है. यानि केवल एक इंद्री का प्रयोग करने से ही आकर्षण का नियम काम करने लगता है.
अब अगर हम दुसरी इन्द्रियां भी इसी काम में लगा दे तो यह शक्ति दुगनी और तिगुनी होकर हमारे अंदर बहने लगती है. यानि हमें देखे भी और सुने भी और बोले भी. एक ही बात. तभी उस महान व्यक्ति के गुण और औज हमारे अंदर बहने लगता है.
Why we chant name of Rama?
तभी हम राम राम भजते है. राम जिन्हें मर्यादा पुरुषोतम भगवान कहा जाता है. उनके गुणों को बखान ही नहीं किया जा सकता. जो जो उन्होंने ने मानव जीवन में किया ऐसा महान चरित्र फिर कभी नहीं देखा गया. ऐसा कोई फिर नहीं आया जिसने अपने पिता की बात रखने के लिए राज छोड़ दिया हो. क्यूंकि जो जो उन्होंने किया वैसे कोई आम व्यक्ति नहीं कर सकता इसलिए उन्हें भगवान कहा गया है.
जब जब कोई भक्त मग्न होकर इस नाम का सिमरन करता है. जब कोई साधक 2 से अधिक इन्द्रियों को किसी भी एक महान हस्ती के सिमरन में लगाता है तो यह वैश्विक आकर्षण का नियम काम करने लगता है. गुण का बहाव होने लगता है.
परन्तु इसके लिए श्रद्धा का होना जरुरी है. श्रद्धा इसलिए होनी जरुरी है क्यूंकि बिना श्रद्धा के आपका माइंड आपको खुद को कंसन्ट्रेट करने नहीं देगा.
राम भगवान् का, ईश्वर का उस परमात्मा के ही एक अवतार के रूप में इस धरातल पर आये थे. लेकिन वो सदा से थे और सदा से है और सदा ही रहेंगे. क्यूंकि इस तरह की दिव्यता कभी भी कही जाती नहीं है. जैसे जैसे कोई भक्त उन्हें अपनी इन्द्रियों से जपता है वैसे वैसे उसका माइंड एक अलग दुनियां से जुड़ने लगता है.
[contact-form-7 404 "Not Found"]Free Meditation Course
हम योगा माई लाइफ पर समय समय पर फ्री मैडिटेशन कोर्स सभी साधको के लिए ऑनलाइन चलाते रहते है. अभी हमारा पहला ऑनलाइन कोर्स 14 जून 2020 को शुरू हुआ है जोकि अभी चल रहा है. इस कोर्स में हम ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरीको से क्लासेज लेते है.
हमारा पहला ऑनलाइन सेशन Google Meet पर 14 जून 2020 रविवार को हुआ.
हमारा दूसरा ऑनलाइन सेशन Zoom par 21 जून 2020 रविवार को हुआ.
हमारा तीसरा ऑनलाइन सेशन Zoom par 28 जून 2020 रविवार को होगा.
Third Online Meeting Session on Zoom
Meeting ID: 762 5817 2222
Password: 4yDLD1
फ्री मैडिटेशन कोर्स का Next Batch जल्द ही हम शुरू करने वाले है.