Author: Acharya Harish
Why daily medication is good?
A human being of an instrument of three sub-instruments and these are:-
- A Body
- A mind
- A self or soul
It is quite surprising that when humans start seeing themselves just a body. Whereas in reality, a human being is the combination of three entities. This something that we all can experience.
We can experience we have a mind and the one who understands his own mind, is after all seperated from the mind itself, right?
The mind
We forget we have a mind and that’s why we are not worried about it. But in reality we are doing everything with the help of our mind.
What meditation do with the mind?
Meditation remove all negativities from the mind. Like our body our mind also becomes dirty with our daily activities. We take bath to clean our body but forget to give a bath to our mind. Meditation gives bath to our mind.
Daily Meditation
As daily bath is required to clean the body to keep it fit and healthy, daily meditation is also required to clean the mind and keep it healthy. If you really want to progress in your life, you must meditate daily to keep your mind fit.
When Solar Plexus Chakra get blocked
Solar Plexus or Manipur Chakra
Solar plexus chakra is the third chakra among seven chakras. It is represented by a 10 petaled flower of yellow color.
Every chakra has a element and so the solar plexus chakra. Element of this chakra is fire. Here this fire is represented by a inverted triangle of red color.
The Sun and The Solar Plexus Chakra
Just like the sun, gives energy to the entire world and sustains the life, similarly this chakra gives energy to our subtle body and sustains out physical body and life.
The Blocked Solar Plexus
If the sun becomes weak, what will happen? Everything on the earth becomes dull and finally lifeless.
Same is true in case of weak solar plexus chakra. It ruins our life. It pulls away of our confidence from us. It pulls away vitality from us.
Weak solar plexus chakra gives you fears. A weak solar plexus chakra gives you frightening dreams.
You don’t feel like doing anything.
Your Aura and Personality
Your aura become dull and your personality become deteriorated.
When you meet someone your aura get reflected first and gives a positive or negative impact on other’s.mind. weak and blocked solar plexus chakra reflects everything negative to others.
What to do to unblock the solar plexus chakra?
Start developing your concentration level first. Your concentration power has a key to unblock any chakra including solar plexus.
After developing level of concentration you need to apply this concentration on apply this on solar plexus. But keep in mind that you have to do in under proper guidance.
Note – Do not do chakra sadhna or unblocking by yourself.
Kundalini Awakening and Consciousness
Consciousness
Consciousness is the power which we generally not have. Most of the human being born without the power of consciousness. But it doesn’t mean they don’t get in the future. With the help of this great power life become so easy. You know the what you are.
Kundalini Awakening
Kundalini is the dormant force which is lying in sleeping mode in shushmna nadi and by different means when we force this divine energy to rise, it is called as Kundalini Awakening.
How to develop the consciousness power
Consciousness is directly related with the kundalini shakti. As you become conscious, you become more aware of the life.
Kundalini shakti not only increase the spiritual awareness but the general awareness also.
As kundalini starts rising, consciousness starts developing but at this point, no one directly become aware , awareness gradually increases with rising of kunadlini. sometimes kundalini rises partially and this situation reduces the level of awareness.
You become more aware and Powerful
Now you are not alone. You have now power of consciousness with you. This power of consciousness gives you leadership quality. This creates a high level of confidence within you. This is because your manipur chakra is now developed.
How Kundalini Awakening starts
Kundalini awakening starts at root chakra in Sushumna Nadi. Kundalini remains dormant in every human being at this place. Here 3 main nadis are originating. These are:-
- Pingla or The Sun Nadi
- Ida or The Moon Nadi
- Sushmna or Neutral Nadi
What is a Nadi?
A nadi is a subtle path where prana energy flows. Prana is a subtle invisible divine energy behind the life. Normally Prana flows through the 2 nadis, pingla and ida. But when this prana force to flow in Sushmna nadi, it is said that kundalini awakening starts.
Besides the power of consciousness and awareness kundalini gives a couple of other divine powers too. These powers show you lights in different paths of the life.
भगवान ने हमें क्यों बनाया? – Why God Made Us?
भगवान ने हमें क्यों बनाया? – Why God Made Us?
शाश्त्र कहते है कि – भगवान ने हमे इस धरती पर मनुष्य रूप में इसलिए जन्म दिया ताकि हम मोक्ष प्राप्ति करे. अपने कर्म से खुद का सुन्दर भविष्य बनाये.
एक और बात; शाश्त्रों में यह भी आती है कि भगवान बोरियत महसूस कर रहे थे और उन्होंने सोचा कि मैं एक से अनेक हो जाऊ और फिर उनके उस संकल्प से ही एक से अनेकता होने लगी.
इसका मतलब हम भगवान को इंसान जैसा सोच रहे है. यानि इंसान का एक ऐसा रूप जो हम इंसानों से ज्यादा पावरफुल हो. क्यूंकि बोरियत किसी का माइंड महसूस कर सकता है लेकिन चेतना नहीं. क्यूंकि जैसे ही हम चेतन होते है तो हमारा माइंड गायब हो जाता है.
अब अगर अभी एक मिनट के लिए चेतन होते है तो आप पायंगे कि आपकी सोचे आपके विचार रुक गए है या गायब हो गए है.
अब दूसरी बात कि मोक्ष के लिए भेजा, तो यह आईडिया भी हमारे बेसिक प्रश्न का उतर नहीं देता. मोक्ष का मतलब कि हमें आजाद नहीं है. आजाद नहीं है तो फिर किसके गुलाम है, क्या भगवान के या फिर किसी और के. यह प्रश्न और भी उलझा देता है.
बहुत सोचने पर भी हमारा मन इस प्रश्न का हल नहीं ख़ोज पाता . क्यूंकि इस प्रश्न का उत्तर हमारे मन के अंदर है ही नहीं. क्योंकि हमारे मन की अपनी लिमिट्स है.
अब अगर मन के पास इस प्रश्न का उतर नहीं है तो फिर किसके पास है?
इस प्रश्न का उतर पाने के लिए हमें अध्यात्म को समझना होगा, श्रीमद्भागवद्गीता, श्रीमद्भागवद्गीता में श्री कृष्ण ने अपने स्वरुप को अध्यात्म बताया है. ऐसा श्रीमद्भागवद्गीता के आठवें अध्याय में श्री कृष्ण द्वारा कहा गया है. मज़े की बात यह है कि भगवान श्री कृष्ण श्रीमद्भागवद्गीता में भगवान को व्यक्ति के रूप में मानने वालों को मुर्ख बताते है लेकिन फिर भी हम इस बात के सही मतलब को अनुभव में नहीं ला पाते. इस बारे में मैं ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता बस एक प्रश्न आपके दिमाग में छोड़ना चाहता हूँ.
अब फिर से अध्यात्म पर आता हूँ. अध्यात्म का मतलब है, खुद को जानना. मैं कौन हूँ इस बात को जानना. जब कोई जीव खुद को जान जाता है तो उसे इस प्रश्न का उत्तर भी खुद से मिल जाता है कि भगवान में उसे क्यों बनाया था.
लेकिन थोडा और इस प्रश्न पर विचार करे तो बहुत सारी बातें दिमाग में आती है. क्यूंकि भगवान का बनाया हुआ कुछ भी बिना मतलब के नहीं है. सब कुछ वैज्ञानिक है. इस दुनियां की हर चीज वैज्ञानिक है. इसलिए जो भी शक्ति इस संसार के पीछे है, जिसे हम भगवान कह सकते है – उस शक्ति का हमें लेकर कोई न कोई मकसद तो है ही. हम जी कर कुछ न कुछ तो ऐसा कर रहे है जो कि बहुत जरुरी है उस शक्ति के लिए. बाकि सब बातें तो हमें इस दुनियां में टिकाने के लिए है, जैसे हमारी इच्छाएं, हमारे रिश्ते नाते, हमारी सांसारिक जरूरते, सब कुछ.
कुछ न कुछ तो ऐसा है जो हमें करते है और उस से किसी न किसी को कोई न कोई फायदा तो हो रहा है. बस इसी प्रश्न को बार बार सोचना होगा. क्यूँ हूँ मैं? क्या कर रहा हूँ मैं? अगर भगवान मुझे पैदा कर सकते है तो क्या मोक्ष नहीं दिला सकते? क्यूंकि हमें चलाने वाली शक्ति हमारे विचारों के माध्यम से हमसे जो कुछ भी करवाना चाह रही है वो हम करते चले जा रहे है. यदि हम वो न करे तो हमारा जीवन नीरस होने लगता है और हम अकर्मण्यता के शिकार होकर डिप्रेशन का शिकार हो जाते है. हमारा माइंड यानि हमारा मन एक बेहद ही जटिल और शक्तिशाली तंत्र है. जो है तो सही; पर हमें दिखाई नहीं देता. यही तंत्र यानि हमारा माइंड ही हमें एक चक्र के उलझाये रखता है. जिसे हम जीवन और मृत्यु कह सकते है.
शायद इसी चक्र को तोड़ देना ही मोक्ष है. क्यूंकि हमारा जीना बिल्कुल भी हमारे बस में नहीं है. इंसान ने इस धरती पर आने के बाद कितनी भी तरक्की कर ली है लेकिन वो मौत की गुत्थी को नहीं सुलझा सका है.
हमें इस प्रश्न का उत्तर साइंटिफिक तरीके से खोजना होगा तभी हम खुद के होने को समझ पाएंगे और तभी हमारे दुःख भी कम हो जायेंगे. हमारा जीवन भी आसान हो जायेगा.
मैं जानता हूँ कि मैंने अपने टॉपिक – “भगवान ने हमें क्यूँ बनाया होगा” – का जवाब नहीं दिया. शाश्त्रों में से कही न कही शब्दों के माध्यम से इसका जवाब मैं भी दे सकता था. लेकिन मैं वैसा जवाब देना नहीं चाहता और न ही वैसा सोचन चाहता हूँ. बस मैं तो मौलिक रूप से सोचने की बात करता हूँ.
What is Healing? – हीलिंग क्या होती है?
Healing
हीलिंग एक व्यापक शब्द है जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर रोगों, तनाव, दुःख, बीमारियों और अस्तित्व के विभिन्न प्रकार के संकटों को ठीक करने की प्रक्रिया को दर्शाता है। इसका मुख्य उद्देश्य संतुलन, पुनर्स्थापना और पुनर्योग को स्थापित करके पूर्ण स्वास्थ्य, सुख और आत्मिक समृद्धि को प्राप्त करना होता है।
हीलिंग में विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि चिकित्सा, ध्यान, मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग, योग, प्राणायाम, मेडिटेशन, रेकी, आरोमा थेरेपी, प्राणिक चिकित्सा, क्रिस्टल थेरेपी, आवाज थेरेपी आदि। ये तकनीकें शारीर, मन और आत्मा के संतुलन को बढ़ाने, प्राकृतिक गुणों को जागृत करने, ऊर्जा को संचालित करने और रोगों या संकटों को दूर करने में मदद करती हैं।
हीलिंग की व्यापकता और विविधता के कारण, यह विभिन्न धार्मिक, दार्शनिक और आध्यात्मिक परंपराओं से जुड़ी हो सकती है और उनके तत्वों और सिद्धांतों पर आधारित हो सकती है। हीलिंग के माध्यम से, व्यक्ति अपने शरीर, मन और आत्मा की ऊर्जा को संतुलित करता है और स्वस्थ और समृद्ध जीवन की प्राप्ति के लिए आत्मविश्वास, स्वास्थ्य और उच्चतम स्तर के अवस्थान को प्राप्त कर सकता है।
कई केसेस के हीलिंग कमाल के परिणाम देती है। लेकिन इसके लिए साधक के पास एकाग्रता नाम की शक्ति होनी चाहिए। बिना एकाग्रता के हीलिंग काम ही नहीं करती। हीलिंग करने से पहले शरीर में प्राणायाम की मदद से प्राण उर्जा को भी बढ़ाया जाता है.
हीलिंग विभिन्न प्रकारों में हो सकती है और इनमें से कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:
शारीरिक हीलिंग: शारीरिक हीलिंग शारीरिक रोगों और आवारण को ठीक करने के लिए की जाती है। इसमें चिकित्सा, योग, प्राणायाम, आरोमा थेरेपी, रेकी, मांगनेटिक थेरेपी आदि शामिल हो सकते हैं।
मानसिक हीलिंग: मानसिक हीलिंग मनोवैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग करके मानसिक और भावनात्मक संतुलन को सुधारने का प्रयास करती है। यह ध्यान, ध्यानाभ्यास, आवाज थेरेपी, स्वाध्याय, आत्मविश्वास निर्माण, मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग, पॉजिटिव अवतरण आदि के माध्यम से हो सकती है।
ऊर्जा चिकित्सा: ऊर्जा चिकित्सा अवसाद, तनाव, शारीरिक और मानसिक रोगों को ठीक करने के लिए ऊर्जा के प्रवाह का उपयोग करती है। इसमें रेकी, प्राणिक चिकित्सा, क्वांटम हीलिंग, एनर्जी बैलेंसिंग आदि शामिल हो सकते हैं।
स्पिरिचुअल हीलिंग: स्पिरिचुअल हीलिंग आत्मिक और आध्यात्मिक संतुलन को सुधारने का प्रयास करती है। इसमें प्रार्थना, मेडिटेशन, रेकी, क्रिस्टल थेरेपी, एंजेलिक हीलिंग, प्राणिक चिकित्सा आदि शामिल हो सकते हैं।
संगठित हीलिंग: संगठित हीलिंग अस्पष्ट शारीरिक, मानसिक या आध्यात्मिक समस्याओं को ठीक करने के लिए संगठित तकनीकों का उपयोग करती है। इसमें प्रोफेशनल काउंसलिंग, परिवार चिकित्सा, विवाह और संबंध संशोधन, ग्रुप थेरेपी आदि शामिल हो सकते हैं।
ब्रेन हीलिंग – यह एक बिल्कुल ही नया कांसेप्ट है. इसमें ब्रेन में विभिन्न भागों पर हीलिंग की जाती है। सबसे पहले ब्रेन के भागो को समझा जाता है। फिर जरुरत के हिसाब से प्रकाशीय हीलिंग का प्रयोग किया जाता है।
यह सिर्फ कुछ प्रमुख हीलिंग प्रकार हैं और इसके अलावा भी अनेक तरीके हो सकते हैं जो विभिन्न धार्मिक, दार्शनिक और आध्यात्मिक परंपराओं से संबंधित हो सकते हैं।
Gayatri Mantra Healing
गायत्री मन्त्र हीलिंग से क्या होता है?
एक है गायत्री मंत्र जिसकी मदद से हम खुद की हीलिंग कर सकते हैं। इस मंत्र के द्वारा हम अपने सूर्य को पुष्ट कर सकते हैं इसके अलावा हम अपने अग्नि तत्व को बढ़ा सकते हैं। इसके साथ साथ हम अपने मणिपुर चक्र को सही कर सकते हैं। कई बार जीवन में ऐसा होता है कि सब कुछ होते हुए भी हमारे अंदर आत्मविश्वास नहीं होता। आत्मविश्वास के लिए हम बहुत सारी मोटिवेशनल किताबें पढ़ते हैं, बहुत सारे मोटिवेशनल लेक्चर सुनते हैं, और खुद को बहुत सारी एफिरमेशंस देते हैं, लेकिन फिर भी हमारा आत्म विश्वास नहीं बढ़ता। ऐसे में समझ नहीं आता कि क्या किया जाए? कई बार तो आत्मविश्वास इतना कम होता है कि अपने घर में ही अपने घर के सदस्यों से बात करने में भी डर लगता है। किसी का भी सामना करने में डर लगता है। स्टेज पर बोलने में डर लगता है। टीचर के सामने बोलने में डर लगता है। बिजनेस मीटिंग के लिए जा रहे हैं उसका सामना करने में डर लगता है। अपने से छोटे इंसान के साथ बात करने में भी डर लगता है, और बड़े इंसान के साथ बात करने में तो डर लगता ही है।
क्या आत्मविश्वास पाने के लिए कोई मेडिसिन है?
इसके लिए कोई मेडिसिन नहीं है कि यह समस्या ठीक हो जाए।
यह होता इसलिए है क्योंकि मणिपुर चक्र और अग्नि तत्व कमजोर होता है। इसको ठीक करने का तरीका एक ही है अग्नि तत्व और मणिपुर चक्र को ठीक कर लिया जाए।
अब बात यह आती है कि अग्नि तत्व या मणिपुर चक्र ठीक होंगे कैसे? इसके लिए हमें ध्यान सीखना होगा तत्व साधना सीखनी होगी, चक्र साधना सीखनी होगी।
तत्व साधना, चक्र साधना सीख कर ही हम अपने अग्नि तत्व ठीक कर सकते हैं। चक्र साधना और तत्व साधना सीखने से पहले ध्यान के द्वारा हमें अपनी एकाग्रता को बढ़ाना होगा क्योंकि बिना एकाग्रता से तत्व साधना या चक्र साधना नहीं की जा सकती है।
Healing Why & How – हीलिंग क्यों और कैसे
भारत में हीलिंग का एक बहुत बड़ा इतिहास रहा है प्राचीन ऋषि अपने शिष्यों को आशीर्वाद देते थे या उन लोगों के पास जो आमजन आते थे दुख लेकर उनको आशीर्वाद दिया करते थे।
वह एक प्रकार की हीलिंग ही थी। हालांकि हीलिंग नाम का शब्द हमारे ग्रंथों विद्यमान नहीं है, लेकिन हिलिंग का जो सोर्स है वह भारतीय ग्रंथ ही हैं। हीलिंग एक तरह की पद्धति है जिसमें हम प्राण ऊर्जा की मदद से प्राण शरीर को ठीक करके स्थूल शरीर में पैदा हुई बीमारियों को ठीक कर लेते हैं । भारतीय परंपरा के अनुसार हीलिंग कई प्रकार की होती है। खास तौर पर पांच तत्वों से हम हीलिंग करते हैं। यह पांच तत्व है, पृथ्वी जल, अग्नि, वायु और आकाश। इन पांच तत्वों से ही हमारा शरीर बना हुआ है। इसलिए इन पांच तत्वों की हीलिंग करके हम अपने शरीर की हर समस्या को दूर कर सकते हैं। उसके बाद कॉस्मिक लाइट से हील करते हैं मंत्रों से हीलिंग करते हैं ।अलग-अलग प्रकार के मंत्र अलग-अलग प्रकार की हीलिंग में काम आती है। जैसे अगर किसी का सूर्य कमजोर हो गया हो यानी अग्नि तत्व कमजोर हो गया हो तो उसके लिए हम गायत्री मंत्र का प्रयोग कर सकते हैं। क्योंकि गायत्री मंत्र जो है वह सूर्य से संबंधित है और वह हमारे शरीर के अंदर अग्नि तत्व या फिर मणिपुर चक्र को बल देता है।
जब जीवन के अंदर कोई रास्ता ना मिल रहा हो तब पांवमान मंत्र की लिखी जाती है पवमान मंत्र जो है इस प्रकार से है
असतो मा सद्गमय
तमसो मा ज्योतिर्गमय
मृत्योर्मा अमृतम्
इस मंत्र की लगातार 40 दिन तक रोजाना 108 बार जपने से यानी एक माला जपने से आपको खुद ब खुद रास्ता देखने लगता है मंत्र हीलिंग है जो निश्चित तौर पर काम करती है।
भारतीय ग्रंथों के अनुसार हम ग्रहों की मदद से हीलिंग कर सकते हैं। हमारे ग्रह और हमारे नक्षत्र जब हमारे अनुसार काम नहीं करते तब हमें उनकी हीलिंग करनी पड़ती है। इन ग्रहों के और इन नक्षत्रों के अपने मंत्र हैं और इन ग्रहों के और नक्षत्रों के अपने देवता भी हैं। उन देवताओं को ध्यान में रखते हुए और उनके मंत्रों को ध्यान में रखते हुए विशेष विधि के द्वारा पूजा अर्चना की जाती है, या यूं कह सकते हैं कि हीलिंग की जाती है। इस प्रकार से हम यह समझ सकते हैं कि हिलिंग का हम प्रयोग विभिन्न तरीकों से और विभिन्न व्यक्तियों के लिए, विभिन्न स्थितियों के लिए भी कर सकते हैं हीलिंग का प्रयोग हम आपसी संबंधों को सुधारने के लिए कर सकते हैं, बीमारी को ठीक करने के लिए कर सकते हैं , किसी जगह पर नकारात्मक उर्जा हो उस उर्जा को ठीक करने के लिए ही हीलिंग का प्रयोग कर सकते हैं इस प्रकार से फीलिंग के अनूठे प्रयोग हैं और उसके अनूठे रिजल्ट भी हैं, लेकिन हीलिंग करने से पहले उसको सीखना बहुत जरूरी है क्योंकि बगैर सीखे अगर कोई हीलिंग करता है तो उसके रिजल्ट नहीं मिलते हैं क्योंकि इसके भी अपने नियम हैं कायदे हैं तरीके हैं।
Personal Mantra – अद्वितीय मन्त्र या व्यक्तिगत मंत्र
अद्वितीय या व्यक्तिगत
अद्वितीय या व्यक्तिगत
हमारा शरीर 5 तत्वों से बना हुआ है. यह 5 तत्व है पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश. यह पांचो तत्व पहले पांच चक्रों से जुड़े हुए है. हमारे चक्र हमारे सूक्ष्म शरीर या प्राण शरीर का हिस्सा है. सभी चक्र हमारी रीढ़ की हड्डी के माध्यम से हमारे ब्रेन से जुड़े हुए है. ब्रेन और मन दोनों अलग है. मन एक ऐसी शक्ति है जिसकी मदद से हम इस संसार को समझ सकते है.
हर व्यक्ति 5 तत्वों के और विभिन्न चक्रों के अलग-अलग कॉम्बिनेशन के साथ इस दुनियां में आता है. कई लोग अच्छे कॉम्बिनेशन के साथ आते है और कई लोगों का यह कॉम्बिनेशन अच्छा नहीं भी होता है.
एक सभी तत्वों और चक्रों के कॉम्बिनेशन को देखते हुए हमने कई सालों तक एक रिसर्च की जिसमे हमने कुछ बीज मंत्रो का प्रयोग किया और एक व्यक्ति के लिए एक विशेष मन्त्र का निर्माण किया. वो नवनिर्मित मन्त्र हमने जिस जिस के लिए बनाया उसे प्रयोग करने का तरीका भी बताया.
जिस जिस ने इस मन्त्र का प्रयोग किया उसे अद्धभुत परिणाम मिले.क्यूंकि यह मन्त्र उसी व्यक्ति के जन्म के नियमों के आधार पर होता है. इस मन्त्र को हमने नाम दिया है अद्वितीय मन्त्र या व्यक्तिगत मंत्र.
मंत्र को कैसे जपा जाता है?
जैसे अद्वितीय या व्यक्तिगत मंत्र हर किसी का एक नहीं होता वैसे ही इसके जपने का तरीका भी हर किसी के लिए के जैसा नहीं होता. अद्वितीय या व्यक्तिगत मंत्र प्राप्त होने के बाद इसको जपने का तरीका भी निश्चित किया जाता है. वो तरीका साधक को बताया जाता है.
अद्वितीय या व्यक्तिगत मंत्र को जपने से क्या लाभ मिलता है?
अद्वितीय या व्यक्तिगत मंत्र क्यूंकि व्यक्तिगत रूप से आपके लिए बनाया जाता है इसलिए इसका लाभ सीधे तौर पर आपको मिलता है. अद्वितीय या व्यक्तिगत मंत्र आपके चक्रों और आपके तत्वों को सही करता है. चक्रों को उर्जा प्रदान करता है जिस से आपकी भौतिक, आर्थिक, परिवारिक, सामाजिक व अध्यात्मिक उन्नति होने लगती है. क्यूंकि इस सभी के पीछे चक्रों और तत्वों का अपने मूल रूप से पिछड़ जाना ही होता है.
क्या अद्वितीय या व्यक्तिगत मंत्र के लिए सही जन्म समय और तिथि आवश्यक है ?
अद्वितीय या व्यक्तिगत मंत्र दो प्रकार से प्राप्त किया जाता है.
पहला – जन्म समय के आधार पर
दूसरा – जन्म समय, तिथि और स्थान अगर सही पता नहीं हो तो इसके लिए दूसरा तरीका प्रश्नावली है. कुछ प्रश्न आपके जीवन से सम्बंधित आपसे पूछे जाते है और उनके आधार पर अद्वितीय या व्यक्तिगत मंत्र निकाला जाता है.
अद्वितीय या व्यक्तिगत मंत्र को कितने समय करना होता है?
अद्वितीय या व्यक्तिगत मंत्र पर प्रतिदिन लगभग 20 से 45 मिनट्स तक जप करना होता है और जब आपको लाभ मिल जाता है तो आप इस समय को कम कर सकते है.
किन लोगों को अद्वितीय या व्यक्तिगत मंत्र की जरुरत होती है?
कोई भी जन जब किसी विशेष आर्थिक, परिवारिक, शारीरिक व मानसिक समस्या से गुजर रहा हो उसे अद्वितीय या व्यक्तिगत मंत्र का प्रयोग करना चाहिए. ताकि उसे लाभ मिल सके.
अद्वितीय या व्यक्तिगत मंत्र Yoga My Life का अनुसन्धान है. इसके लिए आपको सबसे पहले हमसे संपर्क करना होगा. निम्न प्रकार से आप हमसे सम्पर्क कर सकते है:-
98158 35440 (WhatsApp)
98158 35440 (Telegram)
Acharya Harish
Meditation and Noise Pollution
ध्यान से बढ़ाये स्मरण शक्ति
आज का खान पान ऐसा हो गया है कि कुछ याद ही नहीं रहता और ऊपर से यह Noise Pollution; इस शोरगुल ने तो जैसे सब कुछ ही भुला दिया है. सच ही है कि जैसे-जैसे इंसान तरक्की करता जा रहा है वैसे-वैसे हमारे वजूद को लेकर भी समस्याएँ बढती चली जा रही है.
स्मरण शक्ति तो बस जैसे दूर ही होती जा रही हो. कई बार तो ऐसा होता है कुछ सेकंड्स पहले किया हुआ काम ही भूल जाता है. दूध को गर्म करने रखा और यह भी सोचा कि इस बार याद रखेंगे लेकिन फिर भी भूल गए और नतीजा तो आप जानते ही है.
ऐसा ही न जाने कितने रोज़मर्रा के काम जो पलभर में याद आते है और पलभर में ही दिमाग से गायब हो जाते है.
शोरगुल
शोरगुल फ़ैलाने वालों को भी यह बात सोचनी चाहिए. आखिर यह समस्या तो हम सब की समस्या ही तो है. यह सडको पर बिना ही बात के हॉर्न बजाने वाले तो सच में कमाल के लोग है. कुछ सोचते ही नहीं कि उनके इस Noise Pollution से आखिर किस को फायदा हो रहा है. हॉर्न गाड़ी में लगा है इसका मतलब यह तो नहीं कि बजाते रहो.
खैर हम दूसरों को नहीं बदल सकते यह एक कडवी सच्चाई है. लेकिन हम खुद को बदल सकते है यह एक अनूठा सच भी है. कमज़ोर पड़ती स्मरण शक्ति का कुछ न कुछ तो करना ही होगा. नहीं तो जीवन कठिन होता चला जायेगा.
इसके लिए ध्यान का सहारा अगर लिया जाये तो बात बन सकती है. क्यूंकि दुनियां भर की रिसर्च में यह सिद्ध हुआ है कि ध्यान शान्ति के साथ साथ स्मरण शक्ति को बढ़ाता है. कहते है कि ध्यान अंदर की दुनियां में लेकर जाता है जहाँ अथाह शांति का वास है.
बाहरी शोरगुल
बाहरी शोरगुल तो बाहरी दुनियां की ओर खींच कर चेतना को जैसे हर रहा है. ऐसे में ध्यान हमें अंदर की ओर ले जाता है और ऐसे में हमारे मन को और दिमाग को आराम करने का मौका मिलता है.
ध्यान सच में बेहद खुबसूरत कला है. पता नहीं क्यों लोग ध्यान को धर्म से जोड़ने लगते है. जबकि यह तकनीक है खुद को खूबसूरत बनाने की. मन अगर खुबसूरत होगा तो उसका असर चेहरे पर तो आएगा ही.
दिमाग निश्चित तौर पर बढ़ता ही है. क्यूंकि ध्यान से हम अंतर्मुखी होते है. लेकिन ध्यान का परिणाम तभी अच्छा आता है जब इसे नियमित रूप से किया जाये.
ध्यान करना चाहिए और सबसे जरुरी ध्यान करने से पहले ध्यान को सीखना चाहिए
Acharya Harish
पहली बार ध्यान – First Time Meditation
जब भी हम पहली बार ध्यान करना शुरू करते है तो हम इसके लिए सबसे पहले गूगल या फिर YouTube पर सर्च करते है. यह एक तरह से है भी सही. लेकिन इन्टरनेट पर हमें कई तरह की ध्यान की विधियाँ मिलती है और कई तरह के करवाने वाले भी मिलते है. ऐसे में हम कंफ्यूज हो जाते है कि हमें करे तो क्या करे. अब समझने वाली बात यह है कि ध्यान करने से पहले ध्यान के बारे में समझना जरुरी है. क्यूंकि करना क्या है यह समझ में आ गया तो आगे का रास्ता आसान हो जाता है.
ध्यान क्या है यह समझना बेहद जरुरी है?
वास्तव में हम जो भी सीखते है वो 5 इन्द्रियों के माध्यम से सीखते है. हमारा मन 5 इन्द्रियों के माध्यम से ही सीखने के लिए ही बना है. लेकिन ध्यान इन्द्रियों से परे की बात है. ध्यान को समझने के लिए भी हमें 5 इन्द्रियों से बाहर निकलना होगा, जिसकी हमें आदत ही नहीं है. क्यूंकि जब तक हम सोच रहे है तब तक हम ध्यान नहीं कर रहे है. इस बात को हमें समझना होगा.
प्रत्याहार
योग की भाषा में इन्द्रियों से बाहर निकलने को प्रत्याहार कहा गया है. जब प्रत्याहार होता है इसका हमें अनुभव ही नहीं होता. वास्तव में हम प्रत्याहार के बारे में सोच ही नहीं सकते क्यूंकि सोचा तो वो प्रत्याहार होगा ही नहीं. इसलिए इसे एक अनुभव मानते हुए हमें आगे बढ़ना होता है. सीधे तौर पर यह समझ ले कि कुछ भी सोचा तो प्रत्याहार नहीं होगा.
प्रत्याहार से आगे जाना होगा
प्रत्याहार से आगे निकलना होगा और फिर एक शब्द आता है धारणा. धारणा का सीधा अर्थ है एक ही पॉइंट पर अपने मन को लम्बे समय तक टिकाये रखना. जोकि इतना आसान नहीं है. जब हम ऐसा करने में सफल हो जाते है तो हम ध्यान की दहलीज़ पर पहुँचते है. उसके बाद ध्यान अपने आप ही आ जाता है.
नियमित गाइडेंस जरुरी
अब इन सब बातों को समझते हुए हमें ध्यान की विधि को और तरीके नो निर्धारित करना होता है. यह कार्य गुरु के द्वारा ही होना चाहिए और उसके बाद हमें आगे बढ़ने कल इए नियमित गाइडेंस की जरुरत होती है. अगर नियमित गाइडेंस नहीं मिलेगी तो आगे बढ़ ही नहीं पाएंगे.