ध्यान है क्या?
ध्यान करने से पहले इस बात को समझना होगा कि ध्यान क्या है? ध्यान साधना की विधि भी समझनी जरुरी है. ध्यान एक घटना है. एक अद्धभुत घटना. यह कहना ही गलत है मैं ध्यान कर रहा हूँ क्यूंकि ध्यान घटित होता है. हम केवल और केवल ध्यान कि तैयारी कर सकते है.
उपाए नंबर 1 – ध्यान करने का स्थान
यह बहुत ही मुख्य है कि आप किस स्थान पर ध्यान करते है. हर स्थान की अपनी एक उर्जा होती है. उस स्थान कि उर्जा ध्यान में सहायक भी हो सकती है और असहायक भी. इसलिए उचित स्थान आवश्यक है.
यह उचित जगह आपके घर का ही कोई कोना हो सकता है. कौशिश करे कि रोजाना एक ही जगह पर ध्यान करे और उस स्थान को किसी और कार्य के लिए प्रयोग नहीं करे. ऐसा करने से उस जगह की उर्जा बनी रहती है.
उपाए नंबर 2 – ध्यान से पहले प्रार्थना
यह बहुत ही जरुरी है. हम किस के लिए ध्यान में जाना चाह रहे है यह बात खुद हमें अच्छी तरह पता होनी चाहिए. वैसे तो ध्यान खुद को समझने के लिए किया जाता है. लेकिन ध्यान में की जाने वाली प्रार्थनाएं भी अवश्य पूर्ण होती है.
प्रार्थना में अद्धभुत शक्ति होती है. हमारी प्रार्थना ही हमें हमारे इष्टदेव से जोड़े रखती है.
उपाए नंबर 3 – प्राणयाम का प्रयोग
प्राणयाम प्राण विद्या का अंग है. महर्षि पतंजलि ने इसे ध्यान का जरुरी अंग बताया है. इसलिए ही महर्षि पतंजलि ने प्राणायाम को अष्टांग योग का हिस्सा बनाया है. प्राणयाम से मन शांत होता है. केवल प्राणायाम करने से भी हम गहरे ध्यान में जा सकते है. इसकी वजह यह है कि प्राणयाम के बाद प्रत्याहार होता है. प्रत्याहार एक ऐसा अनुभव है जिसमे हम अपनी इन्द्रियों को इस संसार से हटा लेते है.
प्राणयाम नियमित रूप से करने से आपके अंदर एक अलग तरह का आत्मविश्वास पैदा होने लगता है.
उपाए नंबर 4 – खाली पेट ध्यान करे
यह बात समझना बहुत जरुरी है कि ध्यान के वक़्त हमारा शरीर भी हमारा साथ दे. शरीर तब साथ देगा जब शरीर साथ देने कि स्थिति में होगा. खाना खाने के बाद शरीर को चला रही शक्तियां खाने को पचाने में लग जाती है. ऐसे में यदि हम ध्यान करना शुरू करते है तो शरीर हमारा साथ नहीं देता है. इसलिए ध्यान या तो खाना खाने के कम से कम 2 घंटे बाद करे या फिर खाना खाने से पहले करे.
उपाए नंबर 5 – रीढ़ की हड्डी को सीधा रखे
ध्यान के उठने वाली उर्जा रीढ़ की हड्डी में ऊपर की ओर उठती है. इसलिए रीढ़ की हड्डी को सीधा रखना बहुत जरुरी होता है. अगर रीढ़ की हड्डी सीधी न हो उर्जा को सही दिशा नहीं मिली तो वो उर्जा शरीर में अलग तरह के सपंदन पैदा करने लगती है.
उपाए नंबर 6 – नंगे पाँव जमीन पर चले
यह भी ध्यान का एक जरुरी अंग है. कई बार ध्यान के उठने वाली उर्जाओं को दिशा नहीं मिल पाती. ऐसे में शरीर में पैदा हुई उर्जाओं को पृथ्वी में उतरना जरुरी होता है. इसलिए हमें नंगे पाँव मिटटी पर या फिर हरी घास पर चलना चाहिए. अगर मिटटी या हरी खास पर चलना संभव नहीं हो तो घर में फर्श पर चलना चाहिए.
उपाए नंबर 7 – ध्यान के बाद मौन में रहे
जितनी देर का भी आप ध्यान करे. उसके अंत में में कम से कम 5 मिनट का मौन अवश्य रखे. मौन के दौरान अपने मन को भी चुप रखने की कौशिश करे. यह मौन आपके लिए अंत्यंत आवश्यक है. अंत में की गयी मौन की प्रैक्टिस आपको बहुत कुछ दे कर जाती है.