आप जानते है कि हम राम राम क्यों भजते है ?
आपने आकर्षण के नियम के बारे में सुना होगा. Law of attraction के बारे में. हालाँकि यह विषय विज्ञानं का है परन्तु अध्यात्म में और वैल्यू एजुकेशन में इसका अत्यधिक महत्व है. इस दुनियां कि हर वस्तु हर दुसरी वस्तु को अपनी ओर खींच रही है. जीव निर्जीव कुछ भी हो. यह कमाल की बात है.
यह नियम इतना कमाल का है कि यह हमारे अंदर के गुणों पर भी लागु होता है. इसलिए यह वैल्यू एजुकेशन का एक खास विषय है.
कबीर ने इसे बड़े ही खास अंदाज में कहा है
ऐक घड़ी आधो घड़ी , आधो हुं सो आध
कबीर संगति साधु की, कटै कोटि अपराध.
एक क्षण,आध क्षण, आधे का भी आधा क्षण के लिये यदि साधु संतों की संगति की जाये तो हमारे करोड़ों पाप नष्ट हो जाते है.
एक क्षण फिर आधा क्षण और आधा भी नहीं तो उस आधे का भी आधा क्षण भी यदि किस सच्चे साधू का संग मिल जाये तो उसी समय आकर्षण का नियम काम करने लगता है और बस इतनी देर तक के लिए भी साधू का साथ मिल जाये तो करोड़ो पाप नष्ट हो जाते है.
Law of Attraction
पॉजिटिव को पॉजिटिव अपनी ओर खींचता है और नेगेटिव को नेगेटिव. अध्यात्मिक जगत में जो अति उच्च अवस्था वाले साधक होते है वो जल्दी से किसी से मिलते नहीं है. उसकी एक वजह होती है कि उनके चारो और इतना शक्तिशाली उर्जा का घेरा होता है कि कोई भी जब उनके पास आता है तो आकर्षण के नियम के कारण उनकी उर्जा दुसरे साधक में बड़ी आसानी से जाने लगती है.
मज़े की बात यह है कि यह नियम नज़दीक से भी काम करता है और दूर से भी. हमारे धर्म शाश्त्रो में यह बताया जाता है कि साधू पुरुषो का केवल ध्यान करने से जीवन मंगलमय होने लगता है.
Real Fact about Hindus
तभी हम अपने गहरो में महान पुरुषों की तस्वीरें लगते है. जैसे हम अपने देश की महान हस्तियों के, अपने गुरुओं के, महान धर्मो के महान व्यक्तियों के. ताकि हमारी जब जब हमारी उन पर नज़र पड़े और आकर्षण के नियम के कारण हमें उनसे उर्जा मिल सके.
यह केवल देखने की बात हुई. यानि देखने मात्र से और संगती मात्र से आकर्षण का नियम काम करने लगता है और यह उर्जा इस तरह से काम करने लगती है. यानि केवल एक इंद्री का प्रयोग करने से ही आकर्षण का नियम काम करने लगता है.
अब अगर हम दुसरी इन्द्रियां भी इसी काम में लगा दे तो यह शक्ति दुगनी और तिगुनी होकर हमारे अंदर बहने लगती है. यानि हमें देखे भी और सुने भी और बोले भी. एक ही बात. तभी उस महान व्यक्ति के गुण और औज हमारे अंदर बहने लगता है.
Why we chant name of Rama?
तभी हम राम राम भजते है. राम जिन्हें मर्यादा पुरुषोतम भगवान कहा जाता है. उनके गुणों को बखान ही नहीं किया जा सकता. जो जो उन्होंने ने मानव जीवन में किया ऐसा महान चरित्र फिर कभी नहीं देखा गया. ऐसा कोई फिर नहीं आया जिसने अपने पिता की बात रखने के लिए राज छोड़ दिया हो. क्यूंकि जो जो उन्होंने किया वैसे कोई आम व्यक्ति नहीं कर सकता इसलिए उन्हें भगवान कहा गया है.
जब जब कोई भक्त मग्न होकर इस नाम का सिमरन करता है. जब कोई साधक 2 से अधिक इन्द्रियों को किसी भी एक महान हस्ती के सिमरन में लगाता है तो यह वैश्विक आकर्षण का नियम काम करने लगता है. गुण का बहाव होने लगता है.
परन्तु इसके लिए श्रद्धा का होना जरुरी है. श्रद्धा इसलिए होनी जरुरी है क्यूंकि बिना श्रद्धा के आपका माइंड आपको खुद को कंसन्ट्रेट करने नहीं देगा.
राम भगवान् का, ईश्वर का उस परमात्मा के ही एक अवतार के रूप में इस धरातल पर आये थे. लेकिन वो सदा से थे और सदा से है और सदा ही रहेंगे. क्यूंकि इस तरह की दिव्यता कभी भी कही जाती नहीं है. जैसे जैसे कोई भक्त उन्हें अपनी इन्द्रियों से जपता है वैसे वैसे उसका माइंड एक अलग दुनियां से जुड़ने लगता है.
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