भगवान ने हमें क्यों बनाया? – Why God Made Us?
शाश्त्र कहते है कि – भगवान ने हमे इस धरती पर मनुष्य रूप में इसलिए जन्म दिया ताकि हम मोक्ष प्राप्ति करे. अपने कर्म से खुद का सुन्दर भविष्य बनाये.
एक और बात; शाश्त्रों में यह भी आती है कि भगवान बोरियत महसूस कर रहे थे और उन्होंने सोचा कि मैं एक से अनेक हो जाऊ और फिर उनके उस संकल्प से ही एक से अनेकता होने लगी.
इसका मतलब हम भगवान को इंसान जैसा सोच रहे है. यानि इंसान का एक ऐसा रूप जो हम इंसानों से ज्यादा पावरफुल हो. क्यूंकि बोरियत किसी का माइंड महसूस कर सकता है लेकिन चेतना नहीं. क्यूंकि जैसे ही हम चेतन होते है तो हमारा माइंड गायब हो जाता है.
अब अगर अभी एक मिनट के लिए चेतन होते है तो आप पायंगे कि आपकी सोचे आपके विचार रुक गए है या गायब हो गए है.
अब दूसरी बात कि मोक्ष के लिए भेजा, तो यह आईडिया भी हमारे बेसिक प्रश्न का उतर नहीं देता. मोक्ष का मतलब कि हमें आजाद नहीं है. आजाद नहीं है तो फिर किसके गुलाम है, क्या भगवान के या फिर किसी और के. यह प्रश्न और भी उलझा देता है.
बहुत सोचने पर भी हमारा मन इस प्रश्न का हल नहीं ख़ोज पाता . क्यूंकि इस प्रश्न का उत्तर हमारे मन के अंदर है ही नहीं. क्योंकि हमारे मन की अपनी लिमिट्स है.
अब अगर मन के पास इस प्रश्न का उतर नहीं है तो फिर किसके पास है?
इस प्रश्न का उतर पाने के लिए हमें अध्यात्म को समझना होगा, श्रीमद्भागवद्गीता, श्रीमद्भागवद्गीता में श्री कृष्ण ने अपने स्वरुप को अध्यात्म बताया है. ऐसा श्रीमद्भागवद्गीता के आठवें अध्याय में श्री कृष्ण द्वारा कहा गया है. मज़े की बात यह है कि भगवान श्री कृष्ण श्रीमद्भागवद्गीता में भगवान को व्यक्ति के रूप में मानने वालों को मुर्ख बताते है लेकिन फिर भी हम इस बात के सही मतलब को अनुभव में नहीं ला पाते. इस बारे में मैं ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता बस एक प्रश्न आपके दिमाग में छोड़ना चाहता हूँ.
अब फिर से अध्यात्म पर आता हूँ. अध्यात्म का मतलब है, खुद को जानना. मैं कौन हूँ इस बात को जानना. जब कोई जीव खुद को जान जाता है तो उसे इस प्रश्न का उत्तर भी खुद से मिल जाता है कि भगवान में उसे क्यों बनाया था.
लेकिन थोडा और इस प्रश्न पर विचार करे तो बहुत सारी बातें दिमाग में आती है. क्यूंकि भगवान का बनाया हुआ कुछ भी बिना मतलब के नहीं है. सब कुछ वैज्ञानिक है. इस दुनियां की हर चीज वैज्ञानिक है. इसलिए जो भी शक्ति इस संसार के पीछे है, जिसे हम भगवान कह सकते है – उस शक्ति का हमें लेकर कोई न कोई मकसद तो है ही. हम जी कर कुछ न कुछ तो ऐसा कर रहे है जो कि बहुत जरुरी है उस शक्ति के लिए. बाकि सब बातें तो हमें इस दुनियां में टिकाने के लिए है, जैसे हमारी इच्छाएं, हमारे रिश्ते नाते, हमारी सांसारिक जरूरते, सब कुछ.
कुछ न कुछ तो ऐसा है जो हमें करते है और उस से किसी न किसी को कोई न कोई फायदा तो हो रहा है. बस इसी प्रश्न को बार बार सोचना होगा. क्यूँ हूँ मैं? क्या कर रहा हूँ मैं? अगर भगवान मुझे पैदा कर सकते है तो क्या मोक्ष नहीं दिला सकते? क्यूंकि हमें चलाने वाली शक्ति हमारे विचारों के माध्यम से हमसे जो कुछ भी करवाना चाह रही है वो हम करते चले जा रहे है. यदि हम वो न करे तो हमारा जीवन नीरस होने लगता है और हम अकर्मण्यता के शिकार होकर डिप्रेशन का शिकार हो जाते है. हमारा माइंड यानि हमारा मन एक बेहद ही जटिल और शक्तिशाली तंत्र है. जो है तो सही; पर हमें दिखाई नहीं देता. यही तंत्र यानि हमारा माइंड ही हमें एक चक्र के उलझाये रखता है. जिसे हम जीवन और मृत्यु कह सकते है.
शायद इसी चक्र को तोड़ देना ही मोक्ष है. क्यूंकि हमारा जीना बिल्कुल भी हमारे बस में नहीं है. इंसान ने इस धरती पर आने के बाद कितनी भी तरक्की कर ली है लेकिन वो मौत की गुत्थी को नहीं सुलझा सका है.
हमें इस प्रश्न का उत्तर साइंटिफिक तरीके से खोजना होगा तभी हम खुद के होने को समझ पाएंगे और तभी हमारे दुःख भी कम हो जायेंगे. हमारा जीवन भी आसान हो जायेगा.
मैं जानता हूँ कि मैंने अपने टॉपिक – “भगवान ने हमें क्यूँ बनाया होगा” – का जवाब नहीं दिया. शाश्त्रों में से कही न कही शब्दों के माध्यम से इसका जवाब मैं भी दे सकता था. लेकिन मैं वैसा जवाब देना नहीं चाहता और न ही वैसा सोचन चाहता हूँ. बस मैं तो मौलिक रूप से सोचने की बात करता हूँ.